किसका अर्जुन

महाभारत के अर्जुन को लेकर एकबार पाण्डवों मे यह संशय बढ़ा था की यह किसका अर्जुन है । लेकिन अपने कोंग्रेस के अर्जुन को लेकर कोंग्रेस जानो मे यह संशय हमेशा बना रहा की यह किसका अर्जुन है । पिछले दिनों यह कयास लगाया जा जहा था कि इस बार अर्जुन सिंह कि विदाई निश्चित है । अपने अर्जुन सिंह ठहरे पुराने कोंग्रेसी घाघ । सो अर्जुन सिंह ने शिगूफा छोड़ा अगले प्रधान मंत्री के रूप मे राहुल गाँधी को पेश किया जाय । आगामी चुनावी वैतरणी से पार उतरने के लिए बेचारा प्रधान मंत्री पुरी जोर आजमाइश कर रहे हैं , लेकिन अर्जुन सिंह ने राहुल गाँधी का नाम उछाल कर उनके खिलाफ उठ रही आवाज को बंद कर दिया है । कहा जा रहा था कि अर्जुन सिंह को किसी प्रान्त का राज्यपाल बनाया जाएगा लेकिन सियासत का यह मजा हुआ खिलाड़ी अपने विरोधियों को हर समय मात देते नजर आए । २००६ मे यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि अर्जुन सिंह को अब राज्य सभा कि टिकट नही मिलेगी अर्जुन सिंह ने अपने विरोधियों को चुप करने के लिए अलीगढ़ muslim विश्वविद्यालय का मामला सामने लाकर अपने को कोंग्रेस मे सबसे बड़ा सेकुलर नेता के रूप मे पेश किया । ये अलग बात थी कि अलाहाबाद उच् न्यालय ने अर्जुन सिंह के मनसूबे पर पानी फेर दिया था । कोंग्रेस पार्टी अर्जुन सिंह को दुबारा राज्य सभा से बाहर rakhane कि हिम्मत नही जुटा पाई ।
कोंग्रेस का हाथ छड़ी -बेंत बाले के साथ का यह नारा अर्जुन सिंह को लेकर ही प्रचलित हुआ था । लेकिन सबका मुहँ बंद करते हुए अर्जुन ने मंडल २ के जिन्न को दुबारा बाहर निकाल दिया । अर्जुन सिंह को छोड़ कर सबकी हालत नाजुक थी । कोंग्रेस ख़ुद पशोपेश मे थी । कोंग्रेस को यह बात पता थी रिसेर्वेशन का यह जिन्न उसे पूरे उत्तर भारत से खिसका दिया था अब सोनिया के सहारे, राहुल के रोड शो कि बदौलत congress काव बेल्ट मे अपनी jamin पाने कि तयारी मे जुटी थी लेकिन इससे पहले अर्जुन सिंह ने अपनी रचना रच डाली ।यह अलग बात है कि अब अर्जुन सिंह राहुल गाँधी को प्रधान मंत्री बनाए jane कि पैरवी कर रहे है । आरक्षण पर नफा नुकसान को लेकर कोंग्रेस मे बहुत ज्यादा चर्चा नही है । केवल अर्जुन सिंह ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर कर रहे हैं शायद इसलिए भी कि इसके बाद कोंग्रेस मे अगले पाँच वर्ष के लिए शायद ही किसी को कोई खुशी हशील हो सके ।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
घाघ और "पहुँचे हुए" नेताओं की आखिरी कड़ी हैं अर्जुन सिंह, हम मध्यप्रदेश वाले उन्हें ज्यादा बेहतर तरीके से जानते हैं, झुग्गी वालों को पट्टे देना,छात्रों को जनरल प्रमोशन देना, मुस्लिमों को दुलारते रहना, ठाकुरों को आगे बढ़ाना आदि-आदि-आदि जैसे और जितने खटकरम अर्जुन सिंह ने किये हैं उसकी दूसरी मिसाल ढूँढे नहीं मिलेगी… मध्यप्रदेश वालों ने इन्हें लगातार तीन-तीन चुवान हरवाये लेकिन फ़िर भी हो सकता है कि चिता पर भी ये कुर्सी सहित ही जायें…
Manas Path ने कहा…
बड़े घाघ नेता ही ऐसा कर पाते है. चुनाव हारने के बाद भी सत्ता में.
Udan Tashtari ने कहा…
सुरेश भाई की हाँ में हाँ मिलाते हुए मैं मध्यप्रदेशी उनसे सहमती व्यक्त करता हूँ.
बेनामी ने कहा…
hi
you are hundred percent right.He has been offered the governorship of maharashtra last year . on feb.2008 the president of congress party sonia gandhi met his wife Saroj Devi requesting her to persuade Arjun Singh to give up his cabinet post. the National Knowledge Commission , a body of intellectuals who report directly to the prime minister , strongly opposed Arjun Singh s move .But no body could dare to remove Arjun Singh.
Abhishek

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