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अप्रैल 6, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आरक्षण का मतलब क्या ?

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से न तो मेरे गांव का सियाराम मिश्रा खुश हैं न ही फोचु पासवान । सियाराम मिसिर कई पुश्तों से महराजी का काम करते हैं । आज भी गांव के लोग भोज के दौरान उनके बाबा को खास तौर से याद करते हैं । उनके बनाई हुई सब्जी की चर्चा आज भी लोग करते हैं । सियाराम मिसिर का खानदान अर्थ और धर्म से विशुद्ध ब्राह्मण है। खेती बादी है नही इसलिए उपार्जन कभी मसला नही बना । मांग चांग कर गुजरा करना इन्होने परम्परा से पाई है सो मिसिर जी के खानदान का गुजारा चलता रहा । लेकिन पिछले एक अरसे से इन्हे अब शहरों की खाक छाननी पड़ी है । जाहिर है सियाराम मिसिर को यहाँ भी वही काम मिला जिसकी प्रसिधी उन्होंने गांव मे पाई थी । कलकत्ता मे २० साल गुजारने के बाद सियाराम मिसिर गांव लौटे तो ठगे से रह गए की उनके बेटे भी वही महराजी का काम कर रहे थे । उनकी दिली तमन्ना थी उनके बच्चे पढे और इज्जत की रोटी खाय लेकिन ऐसा हो न सका । गरीबी की दलदल मे फसा ऐसे सैकडो सियाराम मिसिर का खानदान जिल्लत की जिन्दगी जी रहा है लेकिन इस देश का विधान इस देश की संसद उसे सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर अगडा मान रही है । फोचु पास