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अप्रैल 13, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चीनी ओल्य्म्पिक

एक दुनिया ,एक सपना के नारे के साथ ओलंपिक २००८ का बिगुल बज चुका है । यह ओलंपिक इसलिए भी खास है की यह चीन में हो रहा है और तिब्बत के लोगों ने ठीक इसी समय अपने मुद्दे को दुनिया के सामने असर दार तरीके से रखने की कोशिश की है । लेकिन यह चीन है जिसने अपनी चतुराई और रणनीति से हर को स्तब्ध किया है । तिब्बत के मामले को लेकर वहाँ के मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर अमेरिका के दोनों सदनों मे जोरदार हंगामा हुआ ओलंपिक खेलों को बायकाट करने की बात भी हुई लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने यह कहकर सारे विरोध की हवा निकल दी, की वे ओलंपिक समारोह मे हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचेंगे । कहते हैं की अमेरिका को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए चीन ने काफी मदद की है । भारत मे तिब्बती शरणार्थियों का धरना प्रदर्शन जारी है लेकिन पुरा तंत्र ओलंपिक मशाल की सुरक्षा मे हर विरोध को दबाने मे कोई कसर नही छोडी । यहाँ तक की ओल्य्म्पिक के भारत प्रमुख सुरेश कलमाडी तिब्बत को कश्मीर से जोड़ कर प्रबुद्ध लोगों को चुप कराने की कोशिश की । उन्होंने कहा की जो लोग तिब्बत मे मानवाधिकार के मुद्दे पर आज चीन में ओलंपिक का विरोध कर र

किसका अर्जुन

महाभारत के अर्जुन को लेकर एकबार पाण्डवों मे यह संशय बढ़ा था की यह किसका अर्जुन है । लेकिन अपने कोंग्रेस के अर्जुन को लेकर कोंग्रेस जानो मे यह संशय हमेशा बना रहा की यह किसका अर्जुन है । पिछले दिनों यह कयास लगाया जा जहा था कि इस बार अर्जुन सिंह कि विदाई निश्चित है । अपने अर्जुन सिंह ठहरे पुराने कोंग्रेसी घाघ । सो अर्जुन सिंह ने शिगूफा छोड़ा अगले प्रधान मंत्री के रूप मे राहुल गाँधी को पेश किया जाय । आगामी चुनावी वैतरणी से पार उतरने के लिए बेचारा प्रधान मंत्री पुरी जोर आजमाइश कर रहे हैं , लेकिन अर्जुन सिंह ने राहुल गाँधी का नाम उछाल कर उनके खिलाफ उठ रही आवाज को बंद कर दिया है । कहा जा रहा था कि अर्जुन सिंह को किसी प्रान्त का राज्यपाल बनाया जाएगा लेकिन सियासत का यह मजा हुआ खिलाड़ी अपने विरोधियों को हर समय मात देते नजर आए । २००६ मे यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि अर्जुन सिंह को अब राज्य सभा कि टिकट नही मिलेगी अर्जुन सिंह ने अपने विरोधियों को चुप करने के लिए अलीगढ़ muslim विश्वविद्यालय का मामला सामने लाकर अपने को कोंग्रेस मे सबसे बड़ा सेकुलर नेता के रूप मे पेश किया । ये अलग बात थी कि अलाहाबाद