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मार्च 15, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सियासत में आर्मी को मोहरा बनाने से बाज आयें

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कश्मीर के बोमई मामले में आर्मी के कोर्ट ऑफ़ इन्कुइरी का फ़ैसला आ चुका है । इस फैसले में एक जूनियर कमांडिंग ऑफिसर समेत दो जवानों को दो नागरिकों के कथित हत्या के लिए दोषी करार दिया गया है । हालाँकि आर्मी के इस फैसले से पहले रियासत की हुकूमत की एक कमिटी ने इन हत्या के लिए फौज को दोषी करार दिया था । ठीक लोकसभा चुनाव के पहले सोपोर के इस वाकये ने ओमर अब्दुल्लाह सरकार को बैकफ़ुट पर ला दिया था । फौज को कश्मीर से बहार खदेड़ने को चुनावी मुद्दा बनाकर पीडीपी ने एन सी को लगभग हासिये पर ला दिया था । सोपोर में स्कूल बंद थे । आर्मी कैंप को हटाने के लिए जोरदार प्रदर्शन जारी था । हड़बड़ी में ओमर अब्दुल्लाह ने रियासत से आर्म्स फाॅर्स स्पेशल पॉवर एक्ट को ख़तम करने की अपनी मांग तेज कर दी, वही डिफेन्स मिनिस्टर से लेकर होम मिनिस्टर पर यह दवाब बनाते रहे की आर्मी के खिलाफ करवाई जरुरी है । ओर हुआ यही एक हफ्ते के अंदर परमिलिट्री फाॅर्स से लेकर आर्मी के जवानों विभिन् मामलों में दोषी करार दिया गया । कई जवान मुअत्तल किए गए । लाव ऑफ़ लैंड को लागु करना हुकूमत की जिम्मेदारी है ,पीडितों को न्याय दिलाना भी हुकूमत की जिम्म