संदेश

मई 3, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सरकार -सरकार के खेल में वोटर एक बार फ़िर हुआ फेल

चित्र
वोट इंडिया वोट ,पप्पू कांट वोट जैसे दर्जनों अभियान एकबार फ़िर दम तोड़ते नज़र आए । सरकार बनाने मे अपनी भूमिका को लोगों ने एक बार फ़िर खारिज किया । शहरी वोटरों ने कहा सरकार कोई बनाये व्यवस्था बदलने वाली नही है हम अपनी छुट्टी क्यों ख़राब करें । तो ग्रामीण मतदाताओं ने कहा कोई नृप होई हमें का हानी। १९९० के बाद भारत में होने वाले चुनाव की यही कहानी है । यानि सरकार बनाने में अपनी भूमिका को नकारते हुए लोगों ने यह मौका दलालों को दे दिया है । कौन बनेगा प्रधानमंत्री के लिए दिल्ली में मंडी लगनी शुरू हो गई है । मोल तौल शुरू हो चुकी है यह जानते हुए भी कि अभी चुनाव प्रक्रिया ख़त्म नही हुई । जनता का फ़ैसला आना अभी बांकी है लेकिन सरकार सरकार के खेल के लिए बिशात बिछायी जा चुकी है । मोहरे चलने शुरू हो चुके है । २६ फीसद वोट पाकर २००४ में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी । तब यह तर्क दिया गया था कि वोटरों ने सेकुलर गवर्नमेंट बनाने के लिए जनादेश दिया है । तर्क दिया गया कि यह जनादेश किसी एक पार्टी के लिए नही था बल्कि यह गठबंधन के लिए जनादेश था । यानि ७४ करोड़ मतदाताओं ने एक फ़िर नेताओ की सरदर्दी बढ़ा दी है कि इस बार वो