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कश्मीर की दोगली सियासत ! निलोफेर और निगीन में इतना फर्क क्यों ?

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कश्मीर से बहने वाली नदियों की कई धाराएँ है ,लेकिन जब हम सियासी धारा की बात करेंगे तो वहां सिर्फ़ दो धाराएँ है एक भारत की और दूसरा पाकिस्तान की ।लेकिन पिछले वर्षों से भारत की यह सियासी धारा सूखती जा रही है । कह सकते है कि कुंद होती जा रही है । यानि दोगली सियासत और सायकोलोजिकल वार का सामना करने के लिए हमारे हुकुमरानों के तमाम आईडिया फ्लॉप साबित हो रहे है । शोपिया के दो मासूम नीलोफ़र और आइसा की हत्या के बाद कश्मीर में उठा सियासी बबाल थमने का नाम नही ले रहा है । बंद पड़ी अलगाववादियों की दूकान एक बार फ़िर चल पड़ी है । रियासत के मुख्यमंत्री का कद आज सैयेद अली शाह गिलानी ,ओमर फारूक जैसे लीडरों के सामने छोटा हो गया है । पिछले पन्द्रह दिनों से कश्मीर के तमाम कारोबार ठप्प पड़े है । हड़ताली सियासत ने इंतजामिया को पुरी तरह से नाकारा साबित कर दिया है । लोग यह मानने के लिए तैयार नही है कि हत्या की जांच के लिए बनया गया कमीशन सही रिपोर्ट देगी । यानि हुर्रियत लीडर कह रहे है कि फौज ने हत्या की है और सरकार फौरन फौज पर करवाई करे और उन्हें कश्मीर से बाहर करे । फौज को कश्मीर से बहार निकलने की यह बड़ी साजिश हो सक

vinod mishra ka blog: ममता दीदी ,माओवादी दादा और लालगढ़

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