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वाजपेयी जी ने पूछा, बीजेपी क्या इतनी बड़ी हो गई है ?

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक कविता में लिखा था । मेरे प्रभु , मुझे इतनी उचाई कभी मत देना ,गैरों को गले न लगा सकूँ ..... शायद वाजपेयी को यह एहसास हो गया था कि सत्ता पाने के बाद बीजेपी न केवल बड़ी पार्टी बन गई है बल्कि उसकी चाल ,चरित्र और चेहरा भी बदलने लगा है । कुछ अलग दिखने की बात करने वाली पार्टी विचारधारा की दल दल में ऐसी फसती जा रही है कि उसके सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती है तो वह विचारधारा को लेकर ही है । हालत यह है कि वाजपेयी गैरों को गले लगाने की बात करते थे ,आज पार्टी अपनों से ही पल्ला छुडा रही है । पार्टी के लिए ३० साल देने वाले जसवंत सिंह एक झटके में ही चलता कर दिए गए । उमा भारती कभी पार्टी का ब्रांड एम्बेसडर हुआ करती थी एक झटके मे ही बाहर हो गई । केशुभाई पटेल को शायद विचारधारा से अलग होने की सजा मिली । कल्याण सिंह को बीजेपी में दम घुट रहा था तो थिंक टैक के रूप में मशहूर गोविन्द्चार्य को राजनीती से सन्यास लेना पड़ा । यानि गैरों की तो छोडिये अपने लोग कह सकते है कि खास लोग ही बीजेपी की उचाई को झेल नही सके । कहा गया कि बीजेपी हिंदुत्वा के अपने एजेंडे से अलग नही हो