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झारखण्ड चुनाव ;२००९ का सबसे बड़ा सियासी हादसा

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झारखण्ड में कौन जीता कौन हारा की समीक्षा अभी जारी है .किंग और किंगमेकर के इतिहास और भूगोल का विश्लेषण अभी जारी है . सत्ता पाने का दंभ प्रदर्शन और खोने की खीज अभी जारी है . लोकतंत्र के नाम पर व्यवस्था का चीरहरण अभी जारी है . यानी २००९ के सबसे बड़ा सियासी हादसा की समीक्षा अभी बांकी है . छोटे राज्य और विकास के बड़े बड़े  सपने के साथ सन २००० में झारखण्ड अस्तित्वा मे आया था . लोकतंत्र के नाम पर कई छोटी बड़ी पार्टियों ने विकास का जिम्मा अपने ऊपर लेने की जद्दोजहद शुरू की .जाहिर है पुरे ८ वर्षों मे मुख्यमंत्रियों की कतार लग गयी . और तो और विकास का जिम्मा एक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को भी दिया गया .लोकतंत्र के नाम पर  सत्ता और व्यवस्था का निरंतर बलात्कार होता रहा और लोग चुप चाप तमाशा देखते रहे . चुनाव के दौरान यह बताया गया की पूर्ब मुख्यंमंत्री ने अपने दौर में ४ हजार करोड़ रूपये की अकूत दौलत बनायीं .सवाल यह उठता है इससे पहले साबिक ६ मुख्यमंत्रियों ने कितनी दौलत बटोरी . चुनाव अभियान में भ्रस्टाचार प्रमुख मुद्दा बना .मुधू कोड़ा और उनके निर्दलीय सहयोगी मंत्री सवालों के घेरे में आये .कई साबिक मंत्