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जनवरी 10, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नक्सल के खिलाफ जंग दंतेवाडा से नहीं दिल्ली से होनी चाहिए

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पिछले एक जनवरी से अबतक नक्सल प्रभावित राज्यों की चार बैठके हो चुकी है .केंद्र सरकार का मानना है कि नक्सल के खिलाफ किसी ग्रीन हंट ऑपरेशन की चर्चा नही है .राज्य सरकारे यह लडाई खुद लड़ लेगी लेकिन खबर यह भी है की केवल छत्तीसगढ़ मे ही इस ऑपरेशन के दौरान अबतक १५० से ज्यादा नाक्साली मारे गए है . यह quiet  डिप्लोमेसी का जमाना है सबकुछ चुपचाप होगा .यानि जंग भी और सियासत भी चुपचाप होंगे . लेकिन नक्सली इस जंग को चुप चाप नहीं होने देंगे .दिल्ली से लेकर राज्यों की राजधानियों में बुधिजिबियों का प्रदर्शन जारी है .आदिवासियों के समर्थन मे सरकार के खिलाफ उनका अभियान जारी है . तर्क यह दिया जा रहा है कि  ऑपरेशन ग्रीन हंट नक्सलियों के खिलाफ नहीं है बल्कि आदिवासियों के खिलाफ है . पिछले दिनों मशहूर आन्दोलनकारी मेधापाटेकर और संदीप पाण्डेय दंतेवाडा मे जनसुनवाई करने पहुचे थे .मकसद था दुनिया को बताना कि ऑपरेशन ग्रीन हंट में भोले भाले आदिवासियों को शिकार बनाया जा रहा है . लेकिन वही के आदिवासियों ने इन तमाम अन्दोलान्करियो को भागने के लिए मजबूर कर दिया .लोगों ने कहा ये आदिवासियों का नहीं बल्कि नक्सालियों के समर्थन