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फ़रवरी 14, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ममता ,माओवादी और सरकार

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.बिहार ,बंगाल ,छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड और उड़ीसा मे नक्सालियों का कहर जारी है .कही इनके निशाने पर ग्रामीण है तो कही नक्सालियों को शिकस्त देने गए सुरक्षाबल मारे जा रहे है . सरकार के साथ आँख मिचौली  के खेल मे नक्सली अपनी रणनीति से सरकारों को थका रही है और हर हादसे के बाद एक दुसरे पर तोहमत लगा कर राजनितिक पार्टियाँ एक दुसरे को बौना साबित करने में जूट जाती है . पश्चिम बंगाल मे नक्सालियों का हमला होता है तो ममता दीदी नक्सालियों से तुरंत बात करने की सलाह देती है .केंद्र सरकार को ढेर नशिहत देकर बंगाल की सियासत मे दखल न देने के लिए धमका भी जाती है .वही यह हमला बिहार मे हो तो केंद्र सरकार राज्य पुलिस व्यवस्था को लचर बताती है .यही हमला छत्तीसगढ़ मे हो तो बीजेपी सरकार की अकर्मण्यता सामने आती है . झारखण्ड की सरकार ने तो अपना रबैया पहले ही साफ़ कर चुकी है कि नक्सालियों के खिलाफ जोर दार अभियान उन्हें कतई मंजूर नहीं है .यानि हर सरकार के सामने नक्सली वो तुरुप के पत्ते है जिसका  इस्तेमाल अलग अलग राज्यों की सरकार अपने सियासी फैदे और नुक्सान को देखकर कर रही है .और केंद्र सरकार विपक्षी सरकार को नकारा साबित करने