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जून 27, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ओमर अब्दुल्ला की नाकामी बनी देश की परेशानी

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कश्मीर आज जल रहा है .अलगाववाद एक बार फिर कश्मीर मे हावी है .आज वहां आतंकवादियों की पकड़ ढीली हो चुकी है लेकिन अलगाववाद ने फिनिक्स की तरह फिर से समाज मे अपना आधार बना लिया है लेकिन सवाल यह उठता है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है .पिछले दिनों एक के बाद एक हुई घटना मे १० से ज्यादा बच्चे और नौजवान मारे गए है .यानि बन्दूक वरदारों की जगह पत्थर वाजों ने ले ली है .पत्थरवाजों के हाथों पिटते जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों देखकर यह कहा जा सकता है पत्थर वाजों को लेकर सरकार मे अभी यह तय होना बांकी है इन हुडदंगियों से कैसे निपटे .जब    कोई नौजवान सी आर पी ऍफ़ की करवाई मे मारा जाता है तो रियासत की हुकूमत यह दावा करती है कि इस फाॅर्स पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है .यानी कश्मीर मे सी आर पी ऍफ़ बेलगाम है .जबकि सच यह है कि सी आर पी ऍफ़ बगैर राज्य पुलिस की इजाज़त के एक कदम भी मूव नहीं कर सकता .लेकिन सियासत ऐसी की सरकार कभी इन पत्थर वाजों को भारत दर्शन टूर के लिए प्रोग्राम बनाती है तो कभी इन पत्थर वाजों को पुचकारने के लिए आर्थिक पाकेज का ऐलान करती है .लेकिन पिछले वर्षों मे अलगाववाद की सियासत को इन पत्थर वाजों ने हैज