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अगस्त 29, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नक्सली समस्या की जड़ दिल्ली है

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नक्सल आतंक के खिलाफ पिछले साल  से जोरदार हमले की तैयारी थी . ऑपरेशन ग्रीन हंट की तैयारी मीडिया के द्वारा छन छन कर लोगों के बीच आ रही थी . नगारे बज रहे थे मानो फाॅर्स बस्तर के जंगल में घुसेंगे और गणपति से लेकर कोटेश्वर राव तक तमाम आला नक्सली लीडरों को कान पकड़ कर लोगों के बीच ले आयेंगे . लेकिन भारत सरकार यह अबतक यह नही तय कर पायी की इस जंग की कमान किसके हाथ मे होगी ?.अभियान के कप्तान गृहमंत्री चिदंबरम को पार्टी और पार्टी से बाहर लगातार नशिहते मिल रही थी कि नक्सली पराये नही है वे पार्टी के लिए पहले भी हितकर रहे है और उनका उपयोग कभी भी चुनाव मे हो सकता है .यही वजह है कि  चिदम्बरम साहब नक्सल के खिलाफ जंग भी लड़ना चाहते है लेकिन सामने नही  आना चाहते .वो राज्य सरकारों को मदद दे रहे, वे ४० से ५० बटालियन सी आर पी ऍफ़  नक्सल प्रभावित राज्यों को भेज रहे .लेकिन लड़ाई की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ रहे है .लेकिन राज्य सरकार चाहती है कि यह लड़ाई चिदम्बरम खुद लड़े.  यह देश का सवाल नही है वोट का सवाल है .बेचारा नीतीश कुमार कल तक नक्सल के खिलाफ सख्त बयानवाजी के कारण चिदंबरम को नशिहत दे रहे थे .वे