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फ़रवरी 27, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पाकिस्तान में ब्लासफेमी का ब्लास्ट

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सस्ता खून और महगा पानी पाकिस्तान में कहाबत नहीं बल्कि जीवन की हकीकत है .पुरे मुल्क में खुनी खेल का सिलसिला जारी है .आम आदमी मारे जा रहे है तो वी आई पी भी  ..ब्लासफेमी लाव की मुखालफत के नाम पर गवर्नर सलमान तासीर की मौत हो चुकी है तो फेडरल मिनिस्टर शाहबाज भट्टी को भी मौत की नींद सुला दिया गया है .सलमान तासीर की हत्या उनके बॉडी गार्ड ने की तो शाहबाज की हत्या पाकिस्तान के तालिबान ने .यानी मुल्क में आज कुख्यात इश निंदा कानून के पैरोकार मुल्ला - मिलिट्री और दहशतगर्द तंजीमो के सामने सरकार और समाज ने घुटने टेक दिए है .हालत को इस तरह समझा जा सकता है की एक गवर्नर की मौत पर कोई दो शब्द सहानुभूति के भी नहीं आये .मुल्क के सद्र और वजीरे आजम ने सलमान की मौत पर चुपी साध ली तो मुल्लाओं ने उनके आखरी रसुमात पर किसी मौलबी को भी नमाज पढने की इज़ाज़त नहीं दी और कातिल कादरी पर फूल बरसाए गए .यही हाल कमोवेश शाहबाज भट्टी को लेकर भी था .लेकिन  एलिट क्लास के लोगों की बर्बर हलाकत और पाकिस्तान में समाज की अनदेखी कुछ अलग कहानी वया कर रही है . १९०६ में पहलीबार आल इंडिया कांग्रेस के सामने मुस्लिम जमींदारो ,राजे राज्ब