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देश में सब कुछ "ठीक "नहीं है अटल जी

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हानि लाभ के पलडो में ,तुलता जीवन व्यापर हो गया .! मोल लगा विकने वालों का ,बिना बिका बेकार हो गया ! मुझे हाट में छोड़ अकेला ,एक एक कर मीत चला जीवन बीत चला .... एक दार्शनिक -राजनीतिग्य  अटल बिहारी वाजपेयी जीवन के 88 वे वसंत पूरा कर इन दिनों सियासी हाट में अकेले खड़े हैं ।राजनीती के मंडी में अपनी प्रखर बौधिक क्षमता की बदौलत अटल जी 50 साल तक आम और खास सबको प्रभावित किये   .गैर कांग्रेसी सरकार के वे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 6 साल देश के शासन की जिम्मेदारी संभाली .देश के आर्थिक प्रगति और नई दिशा देने में अटल जी का योगदान मील का पत्थर साबित हुआ  है .संवाद और संपर्क अटल जी के विकास दर्शन में शामिल थे यही वजह है की भारत में संचार क्रांति और सड़क निर्माण का जो सिलसिला अटल जी ने शुरू किया उसने देश की दिशा और दिशा बदल दी .कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी को जोड़ने का अटल जी का प्रयास आज देश को भौगोलिक रूप से एक सूत्र में बाँध दिया है ,उनकी संचार क्रांति ने देश में लोकतंत्र को दुबारा प्रतिस्थापित किया है .सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ने आज मुल्क के करोड़ों नौजवानों को नायक बना दिय

कश्मीर के मसले को लेकर खामोश संसद

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 हर आतंकवादी हमले के छः महीने या फिर साल भर बाद फिर शुरू होती है भारत -पाकिस्तान के बीच बातचीत की पहल .फिर शुरू होता है पुराने जख्मो को भुलाकर नयी शुरुआत का संकल्प .मुंबई हमले में हमने अपने 200 से ज्यादा अजीजों को खोया, लेकिन दोषियों पर कारवाई करने में पाकिस्तान ने कभी भी रुची नहीं दिखाई लेकिन हमारे गृह मंत्री कहते है "छोडो कल की बाते ..." मुल्क में कही भी आतंकवादी हमले हुए हों ,उनका मकसद कुछ और हो लेकिन पाकिस्तान हर बार  उसे मसले कश्मीर से जोड़ता है।यानी मसले कश्मीर को लगातार सुर्ख़ियों में रखने की जो महारत पाकिस्तान ने हासिल की है उसका तोड़ कम ही देखने को मिला है . यानी बगैर आम कश्मीरियों के समर्थन के पाकिस्तान ने इन वर्षों में महज  प्रोपगंडा के बदौलत कश्मीर को मसला बनाकर रखा है। क्या भारत के शासन ने कभी कश्मीरियों के मन और मिज़ाज समझने की कोशिश की ? क्या हमने कश्मीर को कभी मुख्यधारा की बहस में शामिल किया है ? लोगों ने भारी तादाद मे आकर वोटिंग की  तो भारत सरकार गद -गद .खबर बनी की बन्दूक और हुर्रियत की धमकी के बावजूद कश्मीर में 88 फीसद पोलिंग दर्ज हुई .यानी भारत के समर्थ

बीजेपी का अंतर्विरोध ,कांग्रेस की सियासत और मुश्किल में आवाम

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 अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक कविता में लिखा था । "मेरे प्रभु , मुझे इतनी उचाई कभी मत देना ,गैरों को गले न लगा सकूँ ..... शायद पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को यह एहसास हो गया था कि सत्ता पाने के बाद बीजेपी का न केवल रुतवा बदला है  बल्कि उसकी चाल ,चरित्र और चेहरा भी पूरी तरह से बदल गयी है । कुछ अलग दिखने की बात करने वाली पार्टी विचारधारा की दल दल में ऐसी फसती जा रही है कि उसके सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती है तो वह विचारधारा को लेकर ही है । हालत यह है कि वाजपेयी गैरों को गले लगाने की बात करते थे ,आज पार्टी में एक दुसरे के खिलाफ तलवार भांजी जा रही है .येदुरप्पा जैसे पुराने लीडरों से पार्टी  पल्ला छुडा रही है ।क्या यह ढोंग सिर्फ ईमानदार दिखने के लिए है या फिर पार्टी कोंग्रेस के तीखे प्रहारों से आहात अपने ही लोगों से मुहं चुरा रही है .अगर बीजेपी वाकई  कांग्रेस के भ्रष्टाचार संस्कृति से अपने को अलग मानती है फिर कांग्रेस के लाखों करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का मुकबला करने के बजाय कभी पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को कभी अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री येदुरप्पा को बलि का बकरा क्यों बना रही है ?

कश्मीर की सियासत और लाचार मुल्क

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सैयद अली शाह गिलानी क्या आज कश्मीर के  सबसे बड़े कद्दाबर लीडर है ? आम कश्मीरी भले ही इस बात से इतिफाक न रखते हो लेकिन  गिलानी साहब का खौफ राज्य के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह के सर चढ़ कर बोलता है .अमरनाथ श्रायण बोर्ड के मसले पर पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए बोर्ड को यात्रियों के लिए समुचित व्यवस्था का निर्देश दिया था .ज्ञात हो कि पिछले 3 वर्षों में यात्रा के दौरान 250 से यात्रियों की मौत की वजह सिर्फ बुनियादी सुविधा का अभाव रहा है .ओमर अब्दुल्लाह की सरकार अभी बुनियादी सहूलियत उपलब्ध कराने का मन भी नहीं बनाया है लेकिन गिलानी  के द्वारा यह अफवाह फैलाया गया कि पवित्र गुफा तक पक्की सडको का निर्माण हो रहा है .(बुनियादी सुविधा के नाम पर कश्मीर के हज पर जाने जायरीनो के लिए  श्रीनगर से जेद्दा की सीधी उड़ान की व्यवस्था की गयी है लेकिन उसी कश्मीर में सियासतदान  अमरनाथ यात्रियों को थोड़ी सहूलियत का विरोध कर रहे हैं) सैयद अली शाह गिलानी ने उधर अमरनाथ चलो का नारा दिया उधर रियासती हुकूमत बचाव की मुद्रा में आ गयी .मानो ओमर अब्दुल्लाह सरकार को गिलानी ने चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड

राष्ट्रीय दामाद की शान में गुस्ताखी

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ये अरविन्द केजरीवाल भी कमाल की चीज है। राजनीतिक पार्टी बनाने का एलान कर दिया लेकिन नाम अभी तय नहीं कर पाए है .खास बात यह है कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन वाले लोग यह भी तय नहीं कर पाए है कि उनका दर्शन दक्षिण पंथी है या बाम पंथी या फिर कांग्रेसी मध्यममार्गी .उनकी पार्टी चार दिन पहले बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के बारे में बड़ा खुलासा करती है कि 70 हजार करोड़ रूपये के सिचाई घोटाले में बीजेपी का समर्थन शरद पवार की पार्टी और उनके भतीजे को हासिल है .अचानक कोंग्रेस अध्यक्षा  सोनिया गाँधी के दामाद रोबेर्ट वाड्रा की बत्ती गूम करने के लिए बड़ा धमाका कर देती है .500 करोड़ रूपये का घोटाला की आवाज़ अब रेज्की या छुट्टे पैसे की खनक जैसे लगती है लेकिन यह देश के सबसे शक्तिशाली परिवार के दामाद या यूँ कहे कि राष्ट्रीय दामाद के खिलाफ मुहं खोलने का दुसाहस था .राबर्ट वाड्रा डी एल ऍफ़ से 65 करोड़ रुपया उधार लेते है और 500 करोड़ रुपया एक झटके में कमा लेते है यह आरोप गले से नीचे नहीं उतरता  है .भाई इस कांग्रेस जी के राज में 2जी से लेकर कोलगेट तक अपने छुटभैये नेताओं ने भी लाखों करोडो रूपये का घोटाला बिना एक पैसा

कश्मीर मसले का हल तारीख से नहीं बर्तमान में ढूंढे

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गुन्नार मिर्डल ने लिखा था कि इंडिया एक सॉफ्ट स्टेट है । इसे समझने के लिए ज्यादा तह तक जाने की जरूरत नहीं है भारत -पाकिस्तान के बीच बनते बिगड़ते रिश्ते के साथ -साथ अमन बहाली  को आगे बढ़ाने की लगातार पहल एक मिसाल है.लेकिन इस सोफ्ट होने का  नुकसान  यहाँ के लोगों को ज्यादा उठाना  पड़ा है .राजनैतिक इच्छाशक्ति के आभाव में हमारे राजनेताओ ने अक्सर सोफ्ट डिप्लोमेसी का सहारा लिया लेकिन इस मुल्क को अंतहीन मुश्किलों में उलझा दिया .आज़ादी के 65 साल बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आये 2 लाख से ज्यादा शरणार्थी  रियासत जम्मू -कश्मीर में नागरिकता नहीं पा सके है .जबकि इस दौर में इस मुल्क में करोडो विस्थापितों ने न केवल नागरिकता पायी है बल्कि पाकिस्तान से आये इन शरणार्थियों में इन्दर कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह जैसे लोग प्रधानमंत्री भी बने है .पाकिस्तान से आये लाल कृष्ण आडवानी एन डी ए के दौर में उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रह्चुके है लिकने जम्मू कश्मीर के शरणार्थियों के मसले को किसीने गंभीरता से नहीं लिया .वजह बारामुला के सांसद शर्फुदीन शारीक़ कहते है "जब भारत बंगलादेश से आ

अन्ना के आन्दोलन से आम आदमी का घटता सरोकार ?

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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए "अन्ना नहीं यह आंधी है ,मुल्क का दूसरा गाँधी है ".राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर  के हालिया धरने के बारे में इस बार कहा जाने लगा है कि "जंतर मंतर छू मंतर". यानी अन्ना का जादू इस दौर में ख़तम हो चूका है . जे पी के सम्पूर्ण क्रांति के बाद पहलीबार अन्ना ने इस देश में जनांदोलन से नयी  पीढ़ी  का परिचय कराया था .पिछले साल     महज दो दिनों के अंदर जंतर मंतर ने  तहरीर चौक का रूप ले लिया था . अन्ना हजारे का आमरण अनसन राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बन गया था  .हर शहर के चौक चौराहे पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की उमड़ी भीड़ सरकार को यह बता रही थी ,कि सब्र का पैमाना अब टूट चूका है .तो क्या  इस बार अन्ना के अनोलन से लोगों का मोहभंग हो चूका है ? मिडिया में  खबर के नाम पर  बार बार  लोगों की मौजूदगी पर सवाल उठाया  जा रहा है,भीड़ नहीं जुटने की वजह लोगों की बेरुखी बताया जा रहा है . तो क्या यह माना  जाय कि पिछले साल यह जन आन्दोलन मिडिया प्रायोजित था इस बार इसे वही मीडिया फ्लॉप साबित करने में लगा है .सरकार की ओर से य

कपिल सिब्बल साहब यह जिद क्यों है

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आदरणीय,  कपिल सिब्बल जी एक प्रखर प्रवक्ता के रूप में आपको  वर्षों से इस मुल्क ने करीब से देखा है .कानूनी दावपेंच और अकाट्य तर्कों के जरिये आपने अबतक अनर्गल बातों में भी जान डालने की जो महारत  हासिल की है ,देश को आप पर नाज है ..2 जी के घोटाले में  देश एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रु  लूट लेने की चिंता से बाहर नहीं हो रहा था  .लेकिन संचार मंत्रालय सँभालते ही आपने देश को अपने तर्कों से आश्वस्त करने की कोशिश की कि  दरअसल कोई घोटाला हुआ ही नहीं .ये बात अलग थी कि  सरकारी जाँच एजेंसी सी बी आई ने आपकी बातों पर तब्बजो नहीं दिया .अपने काले ड्रेस  का जो चमत्कार आपने सियासत में दिखाया आज इस चमत्कार से हर छोटी बड़ी पार्टिया अभिभूत है .आज हर पार्टी का प्रवक्ता कोई न कोई वकील है .लेकिन विज्ञानं के क्षेत्र में आपकी बढ़ी रूचि ने देश को एक बड़े  संकट में ड़ाल दिया है .इन दिनों आप आई आई टी की परीक्षा में सुधार लाने की जिद  पर अड़े है .आपने इसे नाक का सवाल बना लिया  है .यह देश के 7 लाख बच्चों के जिंदगी का सवाल है लेकिन अपने अकाट्य तर्कों से आप देश को कम सरकार को ज्यादा संतुष्ट करना चाहते है . सामाजिक न्य

इस कश्मीर को किसने लूटा

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संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव आंबेडकर और संविधान की धारा  370 को लेकर आम जन में एक अलग राय है .जबकि ऐतिहासिक दस्ताबेज कुछ और बया करते हैं .मसलन बाबा साहब ने संविधान की रचना नहीं की थी और न ही भारतीय संविधान उनके मौलिक  कल्पना का लिखित दस्तावेज है .बाबा साहब संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे जबकि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे .लेकिन बाबा साहब के अनुभव उनकी सूझ बुझ का संविधान सभा के हर सदस्य कायल थे .लेकिन वही प्रस्ताव संविधान का हिस्सा बना जिसपर बहुमत की राय थी .मसलन बाबा साहब जम्मू कश्मीर को धारा  370 का विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे .लेकिन बाबा साहब के न चाहते हुए भी इसे शामिल किया गया .यह अलग बात है की संविधान में इसकी अस्थायी व्यवस्था दी गयी थी लेकिन यह धारा 370 जम्मू कश्मीर के पहचान बन गयी है .ठीक वैसे ही जैसे बाबा साहब ने सिर्फ 10 वर्षों के लिए आरक्षण की व्यवस्था दी थी आज यह आरक्षण  भारत के समाजी और राजनितिक जीवन का हिस्सा बन गया है .लेकिन समस्या आरक्षण को लेकर आज  भी बरकरार है. धारा 370 तो आजतक कश्मीरियों को मुख्यधारा में आने नहीं दिया और हर कश्म

राईट टू एडुकेशन का मतलब निकालने में उलझा देश

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सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से उत्साहित मेरा बेटा सवाल पूछता है, क्या अब संस्कृति स्कूल में मेरा एड्मिसन हो पायेगा ? क्या डी पी एस में गरीब के बच्चे पढ़ पाएंगे ? अब मेरा सवाल है, क्यों देश के लाखों बच्चे ऊँचे दर्जे के प्राइवेट स्कूल में पढने को लालायित है ?क्यों ऊँचे दर्जे के स्कूल से निकलकर अधिकांश बच्चे ब्रांडेड  कंपनियों के बैग लेकर मार्केट में घुमने को मजबूर हैं .अवसर कम है तो प्रतियोगिता बढ़ेगी लेकिन जहाँ व्यवस्था में कुछ लोगों ने अपने लिए ऊँचे दर्जे का स्कूल हथिया लिया तो उसी व्यवस्था ने नौकरियों में आरक्षण के नाम पर प्रतिभाशाली बच्चो को बहार का रास्ता दिखा दिया .राईट टू एडुकेशन के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने एक रास्ता दिखाने की कोशिश की है .देश के तमाम निजी स्कूलों को अब अपने स्कूलों में २५ फिसद  गरीब बच्चों को जगह देनी होगी .ये बच्चे  अब रेगुलर क्लास में एड्मिसन के हक़दार होंगे . अब  हर बच्चे को होगा शिक्षा का अधिकार ,यानी कोई भी माता पिता शासन से अपने एक से १४ साल के  बच्चो की पढाई लिखाई की व्यवस्था करने को कह सकता है . और यह  शासन की  जिम्मेदारी होगी कि उन बच्चो के लिए स्क

आल इज वेल प्रधानमंत्री जी

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उत्तर प्रदेश के एसेम्बली चुनाव में यह नारा खूब बजा "राहुल जी को लाना है देश को बचाना है ".कोंग्रेसी क्षत्रपों ने अपनी ओर से यह इशारा दे दिया था कि अगर उ प्र में कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो राहुल जी देश की कमान संभल लेंगे .लेकिन सारे ख्वाब धरासायी हो गए .और तो और पांच राज्यों के चुनाव में सबसे ज्यादा दुर्गति कांग्रेस को ही झेलनी पड़ी .पंजाब तो मानो हाथ से निकल गयी तो उत्तराखंड ने  सत्ता के जोड़ -तोड़ में उलझा दिया .मणिपुर में हैट्रिक   कोई कामयाबी दर्ज नहीं करा पायी .गोवा में कांग्रेस को सत्ता से बाहर निकाल कर लोगों ने यह संकेत दे  दिया है कि आने वाले वक्त में देश में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा होगा . लेकिन कांग्रेस के खिलाफ उठे जन विरोध से बेखबर अपने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन पूरी तरह से आश्वस्त है .नेहरु जी के बाद वे ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें देश सेवा करने का सबसे ज्यादा मौका मिल रहा है .जाहिर है उनका "टीना" फैक्टर दिनों दिनों और मजबूत हो रहा है .टीना यानी देयर इज नो अल्टरनेटिव इस बात को मनमोहन सिंह बेहतर जानते है .यही वजह है कि अरबो रूपये के घोटाले सा

सावधान आप उत्तर -प्रदेश में है !

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जात न पूछो साधू से ,यानी सज्जन ,सुशील और विनम्र लोगों की कोई जात नहीं होती .लेकिन अपने उत्तर प्रदेश में जात न केवल सामाजिक पहचान से जुडी हुई है ,बल्कि यह व्यक्ति को सत्ता पर काबिज होने का अनोखा नुस्खा भी देती  है साथ ही समाज में दबंगई का प्रमाणपत्र भी .जीत हर कीमत के शर्त पर उत्तर प्रदेश में संघर्षरत बीजेपी को यह बात आखिर में समझ आई कि चौथे नंबर के लिए भी उसे जात समीकरण बनाने होंगे .भ्रष्टाचार और लोकपाल  के मुद्दे पर अलग -थलग पड़ी कांग्रेस से लोगों का मोहभंग होने लगा था और लोग बीजेपी को विकल्प मानने लगे थे .लेकिन उत्तर प्रदेश में बसपा के निष्कासित महारथियों को गले लगाकर पार्टी ने यह एहसास करा दिया है कि नैतिकता और सचरित्र  की बात बौधिक बहस की बात तो  हो सकती है लेकिन चुनाव जितने के कारगर उपाय नहीं हो सकते .यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी ने  चाल, चरित्र और चेहरा पूरी तरह से बदल लिया है . सपा से निष्कासित सांसद राज बब्बर ने २००३ में यह नारा दिया था "जिस गाड़ी में सपा का झंडा ,उस गाडी में है मुलायम का गुंडा ".मायावती ने इसका विस्तार देते हुए पिछले चुनाव में नार