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कश्मीर मसले का हल तारीख से नहीं बर्तमान में ढूंढे

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गुन्नार मिर्डल ने लिखा था कि इंडिया एक सॉफ्ट स्टेट है । इसे समझने के लिए ज्यादा तह तक जाने की जरूरत नहीं है भारत -पाकिस्तान के बीच बनते बिगड़ते रिश्ते के साथ -साथ अमन बहाली  को आगे बढ़ाने की लगातार पहल एक मिसाल है.लेकिन इस सोफ्ट होने का  नुकसान  यहाँ के लोगों को ज्यादा उठाना  पड़ा है .राजनैतिक इच्छाशक्ति के आभाव में हमारे राजनेताओ ने अक्सर सोफ्ट डिप्लोमेसी का सहारा लिया लेकिन इस मुल्क को अंतहीन मुश्किलों में उलझा दिया .आज़ादी के 65 साल बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आये 2 लाख से ज्यादा शरणार्थी  रियासत जम्मू -कश्मीर में नागरिकता नहीं पा सके है .जबकि इस दौर में इस मुल्क में करोडो विस्थापितों ने न केवल नागरिकता पायी है बल्कि पाकिस्तान से आये इन शरणार्थियों में इन्दर कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह जैसे लोग प्रधानमंत्री भी बने है .पाकिस्तान से आये लाल कृष्ण आडवानी एन डी ए के दौर में उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रह्चुके है लिकने जम्मू कश्मीर के शरणार्थियों के मसले को किसीने गंभीरता से नहीं लिया .वजह बारामुला के सांसद शर्फुदीन शारीक़ कहते है "जब भारत बंगलादेश से आ