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पाकिस्तान से बात करना क्यों जरूरी है ?

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आओ फिर से दिया जलाएं भरी दुपहरी में अँधियारा ,सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़े ,बुझी हुई बाती सुलगाएँ आओ फिर से दिया जलाएं।। .. काबुल में मौजूद प्रधानमंत्री मोदी को अचानक वाजपेयी की ये कविता क्यों याद आई ?इसलिए कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन था या फिर काबुली वाला  देश में मोदी भारत -अफ़ग़ानिस्तान के पारम्परिक रिश्तो पर  "यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी " गाकर, आह्लादित हो उठे थे। महज एक ट्वीट का मेसेज देकर प्रधान मंत्री मोदी नवाज़ शरीफ से मिलने लाहौर चल पड़े थे ? या यह सोशल डिप्लोमेसी की नयी पहल सामने आई थी। जिस देश के प्रधानमंत्री पिछले ११ साल से यह तय नहीं कर पाये कि पाकिस्तान जाना चाहिए कि नहीं ,उसी देश में एक प्रधानमंत्री आज कबूल में ब्रेकफास्ट और लाहौर में लंच लेने के बारे में सोच रहा था। १९९९ से लेकर २००४ तक भारत -पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने निरंतर प्रयास किया कारगिल जंग हो या पार्लियामेंट अटैक हर विषम परिस्थिति में एक धैर्यवान शासक का परिचय देते हुए वाजपेयी ने बातचीत का रास्ता खुला रखा