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जुलाई 3, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

और बुरहान तुम चले गये .....

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बुरहान तुम्हारे जाने का बहुत अफसोस है ! ठीक वैसे ही अफसोस मुझे तब हुआ था जब लोग तुम्हे कश्मीर में हिज़्ब के पोस्टर बॉय कहने लगे थे। अबतक लोग यह मानते थे कि गरीब और अनपढ़ लोग ज्यादा वल्नरेबल होते है जिन्हे कुछ चालक लोग आसानी से बरगला सकते है, लेकिन तुम तो एक पढ़े -लिखें  खानदान में पैदा लिया अच्छी तालीम पाई , स्थानीय कॉलेज के प्रिंसिपल तुम्हारे अब्बाजान मुजफ्फर अहमद वानी ने कभी सोचा भी न होगा कि अपने क्लास का टॉपर बुरहान कभी हिज़्ब का बंदूक उठा लेगा।  अफसोस इस बात को लेकर भी है कि तुम्हारे तंजीम हिज़्बुल मुजाहिदीन के सरबरा सैयद सलाहुद्दीन ने अपने किसी बच्चे को मिलिटेंट नहीं बनाया ,उन्हें बंदूक से दूर रखा और तुम ने अपने जैसे दर्जनों नौजवानों को बंदूक उठाने   के लिए  प्रेरित किया।  माना कि  तुम्हे  सोशल मीडिया/ इंटरनेट  का शौक था ,कश्मीर में इससे पहले किसी मिलिटेंट ने अपने  ग्रूप का सेल्फी फेसबुक  पर नहीं डाला था। कश्मीर में कुछ लोग तुम्हे हीरो मान  बैठे थे,और यह तुम्हारी गलतफहमी थी कि तुम सेना के साथ जंग लड़ रहे थे।बांग्लादेश कैफे हमले में मारे  गए 20 साल का आतंकवादी  रोहन इम्तियाज़   को  भ