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,राहुल गाँधी को अभी इंदिरा को समझना बेहतर होगा।

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" मेरा देश बदल रहा है " .या यूं कहे  पिछले 30 वर्षों में पहलीबार कोई स्लोगन आगे बढ़ रहा है। 70 के दशक में इंदिरा गाँधी का गरीबी हटाओ का समाजवादी नारा जन जन तक प्रचारित हुआ इसके पीछे इंदिरा  के बातों पर लोगों को भरोसा था, उनके इरादे पर लोगों को यकीन था। 1969 में उन्होंने अपने विरोधियों (सिंडिकेट) के खिलाफ मास्टर स्ट्रोक चलते हुए बैंक नॅशनॅलिजेशन की घोषणा की तो जिनका बैंको से कभी दूर दूर तक सरोकार नहीं था, वे दिल्ली के चांदनी चौक पर हज़ारों की संख्या में जमा हो गए ,मानो 14 बड़े  बैंकों में रखे अरबो रूपये  उनके हिस्से में ट्रांसफर होने वाला है । ये अलग बात थी कि अगले 50 वर्षो में इस भीड़ का बैंक से कोई सरोकार नहीं जुड़ा। आम आदमी को जन धन एकाउंट ने पहलीबार बैंक से  मुखातिब किया। तो क्या  मोदी इंदिरा जी के नक्से कदम पर आगे बढ़ रहे हैं या इंदिरा के बाद मोदी पहला प्रधानमंत्री हैं जिनके नियत  पर देश को कोई शंका नहीं है। बैंक नॅशनॅलिजेशन के बाद नोटबंदी पहली ऐसी घटना या सियासी फैसला है जिसमे  आम आदमी एक भरोसे के साथ  जुड़ा है।    विपक्ष में बैठे सियासी दल देश के मिजाज को समझने में