सियासी फलसफा अब मोदी को केंद्र में रखकर ही गढ़ा जा सकता है

यू पी तो झांकी है असली जंग तो अभी बाकी है। देश की सियासत में अचानक पाँच राज्यों का चुनाव इतना क्यों महत्वपूर्ण हो गया यह देश में बन रहे  नए समीकरण  रेखांकित करता है ।2017 को 2019 के प्रोमो में फ़ीट करने के लिए बाप बेटे में तलवार खिंची हुई है ,तो कही महागठबंधन दरक रहा है। तीसरा मोर्चा हो या सेक्युलर फ्रंट सियासी फलसफा मोदी को केंद्र में रखकर गढ़ा जा रहा है। यानी कही एक पार्टी में दो अध्यक्ष हैं ,तो कही असली और नकली के बीच जंग जारी है। सियासी पंडित फेंट रहे हैं ,यू पी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन किसी  एक पार्टी के लिए आत्मघाती होगा ,तो कही इसे ऐतिहासिक बताकर राहुल गांधी को मोदी के बराबर खड़े करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इसी कोशिश में केजरीवाल से लेकर नीतीश कुमार तक राष्ट्रीय नेतृत्व की अपनी कुशल छवि बनाने के लिए अपने मोहरे भी बदल रहे हैं।
 
पुरे साढ़े 4  साल तक साढ़े चार चीफ  मिनिस्टर का तोहमत अखिलेश ढोते रहे लेकिन अचानक उन्होंने कौन सी सियासी टॉनिक पी कि  वे न केवल पार्टी के सर्वे सर्वा बन गए बल्कि जिम्मेदार मुख्यमंत्री बन गए। यानी अखिलेश के पांच साल के प्रशासनिक क्षमता का विश्लेषण अब बीते दिनों की बात है ,चर्चा इसकी करो सियासी अखाड़े में मुलायम कैसे पस्त हुए ,शिवपाल को अखिलेश ने कैसे धुल चटाई। दस साल पहले अमिताभ बच्चन ने  मुलायम सिंह सरकार के प्रचार की कमान संभाली "यू पी में दम है क्योंकि जुर्म यहाँ कम है " और मुलायम की लुटिया डूब गयी थी ,आज अखिलेश अपने नकारेपन और एंटी इनकंबेंसी  को कभी अपने ताऊ के मत्थे  डालता है तो कभी इसका रुख केंद्र की ओर मोड़ता है। यानी इम्तिहान में अखिलेश  नहीं मोदी को पास या फेल होना है। बुआ मायावती ने अपने पांच साल के कार्यकाल को अपने चुनाव चिन्ह हाथी को स्थापित करने में लगाया तो बबुआ अखिलेश ने   सड़क के किनारे साइकिल ट्रैक बनाकर अपने चुनाव चिन्ह  स्थापित कर लिया ,लेकिन शायद ये भूल गए कि इस सिंबल को अमर करने में इन लीडरो ने लोगों के हजारों करोड़ रूपये पानी के तरह बहा दिए ।  यानी हर सियासी मोहरे को रंग रोगन से फ़ीट करके 2019 के लिए खड़ा किया जा रहा है।मोदी के समर्थन और विरोध में  देश की सियासत ने एक नई तस्वीर गढ़ी है ।लेकिन  दो ध्रुबों में बटी सियासत में फायदा किसे मिलता है यह स्क्रिप्ट उत्तर प्रदेश को ही लिखना है। 


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