मध्यप्रदेश अजब है सबसे गजब है ,धरने पर सी एम शिवराज


आदतों और विज्ञापनों से दबे हुए आदमी का
सबसे अमूल्य क्षण सन्देहों में
तुलता है,हर ईमान का एक चोर दरवाज़ा होता है
जो सण्डास की बगल में खुलता है
दृष्टियों की धार में बहती नैतिकता का
कितना भद्धा मज़ाक है,कि हमारे चेहरों पर
आँख के ठीक नीचे ही नाक है। ये पंक्तिया कवी धूमिल ने चाहे जिस  सन्दर्भ में लिखी हो लेकिन मौजूदा की सियासत पर सटीक बैठती है।  मध्य प्रदेश के सी एम् शिवराज किसानो के सबसे बड़े हितैषी माने जाते हैं। खाट पर किसानो के साथ शिवराज की पंचायत  मध्य प्रदेश के अखबारों में पहले पेज पर छपती थी , टी वी  उनका किसान संवाद टी वी वालों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया बन गया था। लेकिन उग्र आंदोलन में  6 किसानो की मौत के बाद शिवराज घुटने टेके अनसन पर बैठे हैं। यह उस राज्य का हाल है जिसका कृषि विकास दर 14 फीसद है और शिवराज इसके लिए पुरष्कृत भी हो चुके हैं। यानी तथाकथित किसानो को कर्जा माफ़ी से कम मंजूर नहीं हैं ,अपने राहुल बाबा भी यही चाहते हैं .. देश के तमाम किसानो का कर्जा मॉफ हो जैसे उन्होंने अपने राज में किया था। 

तो भैया राहुल जी 2009 में ठीक चुनाव से पहले एक गरीब देश के अर्जित धन को आपकी मम्मी की सरकार ने कैसे लुटाया , 70,000 करोड़ रूपये किन किसानों में बटा आप कभी पूछने भी नहीं गए होंगे। और इस लूट में सिर्फ पीड़ित किसान ही कर्जमाफी से  बाहर हो गए थे।जानते हैं क्यों, आपकी  पार्टी उन्ही किसानी वाले राज्यों  में हारी जिसके कर्ज माफ़ी का आप दावा कर रहे थे। इस देश में सारे लोग किसान हैं जहाँ  कुछ फायदे की गुंजाइस हो। दिल्ली के करोडो रूपये के फॉर्म हाउस का मालिक भी  किसान की हर सुविधा लेता है ,ठीक वैसे ही जैसे  हरियाणा ,उत्तर प्रदेश के सैकड़ो हेक्टेयर जमीन जोतने वाला किसान और कठ्ठा पांच कठ्ठा जोतने वाला भी किसान  कहलाता है ,खेतो में काम  करने   वाले मजदूर भी अन्नदाता किसान है  हैं । 

कांग्रेस के राज में बुन्देल खंड और विदर्भ में किसानो की समस्या को लेकर बड़ी लम्बी बहस हुई सोनिया जी की कृपा से 8 हजार करोड़ रूपये बुन्देल खंड के सूखा प्रभावित इलाके के लिए मिला  महाराष्ट्रा को 25000 करोड़ रूपये सिचाई परियोजना के लिए मिली थी। राहुल बाबा जरा घूम आईये बुंदेलखंड इन 8000 करोड़ में एक कुआँ भी बन पाया हो जो पानी दे रहा हो । किसानो के नाम पर इसी  लूट का नतीजा था  की कांग्रेस पार्टी यू पी में कोने में सिमट गयी है और माराष्ट्रा जहा  25000 करोड़ खर्च करने के बावजूद सिचाई मंत्री अजीत पवार को सिचाई के लिए अपने मूत का ऑप्शन देना पड़ा था। यह वही अजीत पवार है जो देश के सबसे बड़े किसान नेता शरद पवार के भतीजे है। 

यह इस देश के साथ बड़ी विडम्बना है कि हर चीज वोट के आधार पर तय होती है। राहुल गांधी को आज अगर मोटर साइकिल से मंदसौर जाना  पड़ रहा है उसके पीछे भी सिर्फ वोट ही है। राहुल गांधी की सरकार विदर्भ में बुंदेलखंड में बुरी तरह फेल साबित हुई थी और देश के लाखो करोड़ रूपये का चुना लगाया  था । कम से कम उनकी पार्टी को कोई राय देने का हक़ नहीं बनता । लेकिन दवाब की राजनीति में अगर मोदी सरकार उसी कायदे पर चलती है जो पालिसी पहले ही पीट चुकी है। तो इससे न  तो देश का भला होगा  और न ही किसानो का। सरकार पहले असली किसानो को सामने लाये। शिवराज जी यह कर सकते थे,  लेकिन सरकार जाने के डर से वे पूरा परिवार अनसन पर बैठ गए है और राहुल शरीखे नेता एम पी  गजब है का आनंद ले रहे हैं 

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