कश्मीर में क्या चल रहा है ?

मीर साहब आदाब , इंडिया से बोल रहा हूँ। बोलो साहब आदाब ! कश्मीरियों का हाल पूछा शुक्रिया। क्या चल रहा है ? उधर से आवाज आयी। मैंने कहा भाई मैं भी आपसे ही पूछ रहा हूँ क्या चल रहा है। मीर साब की तेज हंसी की आवाज़ आयी। उन्होंने घर परिवार का हाल पूछा और कहा जब भी आप फोन करते हो खुश कर देते हो लेकिन ये भारत ये कश्मीर कबतक चलेगा ? मैंने पूछा दिक्कत क्या है ? उन्होंने कहा भाई दिक्कत तो कुछ नहीं है लेकिन अपने ओमर साहब और मेहबूबा की गड्डी पार्क नहीं हो रही है। हर चार घंटे में मीडिया के साथ राजभवन यह पूछने पहुंच जाते हैं कि क्या चल रहा है ?
अरे भाई ! दो दिन पहले दोनों बाप बेटा पी एम मोदी से मिलकर आये हैं फिर गवर्नर साहब से क्यों पूछने जाता है ? ये तो उमर साहब को बतानी चाहिए कि कश्मीर में क्या चल रहा है ? मीर साहब बड़े बुजुर्ग की हैसियत में समझाते हुए बताया भाई ! गवर्नर मलिक साहब कह रहे हैं "कल क्या होगा यह नहीं पता लेकिन आज तो मैं कह सकता हूँ ऐसा कुछ भी नहीं है जो अफवाह में फैलाये जा रहे हैं। यानि क्या चल रहा है यह ठीक से गवर्नर साहब को नहीं पता है लेकिन वह जोर देकर कहते हैं, संसद चल रहा है जो भी होगा सदन को बताकर होगा ,इस पर चर्चा होगी। ये सब चीजें गुपचुप तरीके से नहीं होती है।
मीर साहब बताते हैं कि कश्मीरियों ने सिर्फ एकबार अपने मन से फैसला लिया था और जान देकर भी पाकिस्तानी कबाइलियों को श्रीनगर घुसने नहीं दिया था। क्योंकि पहले वह अपने को इंशान मानता था मुसलमान बाद में होते थे।लेकिन वही कश्मीरी कान के इतना कच्चा हो गया कि वे अपने मुल्क को भी मजहब से पीछे कर दिया .. सैयद अली शाह गिलानी को यह नहीं पता कि कश्मीर में क्या चल रहा है ? लेकिन वे उम्मा से यह अपील कर रहे हैं कि यहाँ इस्लाम खतरे में हैअगर मुस्लिम मुमालिक उनकी न सुनी तो अल्लाह उन्हें माफ़ नहीं करेगा। मैंने कहा ठीक वैसे ही जैसे पिछले 40 वर्षों से पाकिस्तान जिहाद के नाम गरीब मासूमो को आतंकवादी बनाता रहा है।

कश्मीर में एनकाउंटर भी कैमरे के सामने होता है। पथरवाजी का भी लाइव होता है। आतंकवादियों के जनाजे का भी लाइव होता है।मौलाना के तकरीरों का भी लाइव है। मोबाइल फोन और इंटरनेट के ज़माने में हर कश्मीरी लाइव है और अपना रिपोर्टर है फिर भी लोग पूछ रहे हैं क्या चल रहा है। मैंने कहा मीर साहब इतने खुले माहौल में गिलानी साहब की बात पर आज लोग यकीन करते हैं ? करें न करें शिगूफा देने में क्या जाता है मीर साहब का जवाब था यही काम ओमर अब्दुल्लाह कर रहे है यही काम मेहबूबा कर रही है। सियासत इन सबकी दूकान है रोजी रोटी है। आज़ादी के 70 साल बाद भी कश्मीर में सियासी चेहरे और परिवार नहीं बदले हैं उसकी वजह सिर्फ धारा 370 और 35A है। इस कारोबार में जो जितना मुल्लाबिस है वह बार बार पूछ रहा है कश्मीर में क्या चल रहा है ? इस देश में जब एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के भी सबूत मांगे जाते हैं जाहिर है सरकार फूंक फूंक कर कोई योजना बनाई होगी। देश हित में उठाया गए हर कदम में 130 करोड़ जनता का समर्थन होता है। वैसे यह मुझे भी नहीं पता कश्मीर में क्या चल रहा है ?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदू आतंकवाद, इस्लामिक आतंकवाद और देश की सियासत

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़ !