सोशल मीडिया ने यहाँ नश्ले तबाह कर दी है !
ये सोशल मीडिया की क्रांति है या रिलायंस जिओ वाले का दुनिया मुठी में करने वाला फ्री /सस्ता इंटरनेट डाटा का कमाल ,अभी अभी मोहम्मद अशरफ सेहराई ने कश्मीर के अलगाववादी संगठन तहरीके हुर्रियत के चेयरमैन का पद संभाला था और बेटा जुनैद अशरफ खान ने सोशल मीडिया पर एके 47 के साथ फोटो अपलोड कर अब्बा हुजूर को यह बता दिया कि वह हिज़्बुल मुजेहिद्दीन का आतंकवादी बन गया है।वह बता गया अब्बा हुजूर जिस आग से खेलने की सीख गिलानी और आपने दी अब उस तपिश में आप भी जलेंगे। कश्मीर के इतिहास में यह पहलीबार हुआ है जब किसी टॉप अलगावादी लीडर के घर से आतंकवादी वना हो।गिलानी साब से लेकर हिज़्ब के चीफ सलाहुद्दीन के बच्चे राज्य सरकार में आला दर्जे का अफसर है ,ऊँचे दर्जे के स्कूल में तालीम लेने वाले हुर्रियत लीडरो के बच्चो ने कभी तहरीक और जिहाद की तरफ नहीं देखा। लेकिन सोशल मीडिया का कमाल देखिये दूसरे के घर जलाने वाले का आज खुद घर जल रहा है। किसी ने सही कहा है कि सोशल मीडिया का प्रभाव पानी की तरह है जो सतह पर रुकता नहीं है बल्कि अपना रास्ता बनाता है गलत या सही यह पानी भी नहीं जानता।
वह दौर था जब सैयद साल्हुद्दीन ,यासीन मालिक जैसे सैकड़ो नौजवान जमात के बहकावे में आज़ादी के लिए पार गए। और अपने साथ गरीब परिवार के बच्चो को जेहादी बना दिया। लेकिन सोशल मीडिया के दौर में आज ज़ाहिद मंजूर , पीएचडी स्कॉलर मनान वानी , अहमद मीर ऐसे दर्जनों पढ़े लिखे नौजवान थे जिन्होंने सोशल मीडिया पर अपना हीरो बुरहान वानी को माना और बन्दूक थाम लिया। पिछले 2 साल में 200 से ज्यादा नौजवान लश्कर से लेकर जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को ज्वाइन किया जिसमे अधिकांश मारे गए। जाहिर है जो काम पाकिस्तान करोडो रूपये खर्च करके इन वर्षो में नहीं कर सका वह कश्मीर में सस्ता डाटा और सोशल मीडिया ने कर दिखाया। रेडिक्लिजेशन का भूत इन नौजवानो पर इस कदर सवार हुआ की कश्मीर तो छोडो वे सीरिया में जिहाद करने को मचल उठे थे ।
हिज़्बुल मुजाहिदीन के सरबरा सैयद सलाहुद्दीन ने अपने किसी बच्चे को आतंकवादी नहीं बनाया , गिलानी ,मीरवाइज़ जैसे टॉप अलगाववादी नेता ने अपने बच्चो को बंदूक से दूर रखा.. उन्हें सोशल मीडिया पर रोबिनहुड और लड़कियों के बीच पॉपुलर होने से रोका। .. लेकिन नौजवानो को जिहाद के लिए उकसाने वाले हुर्रियत लीडर शेहराई अपने बेटे को इस जाल में फसने से नहीं रोक पाए।
कैंब्रिज अनलिटिका और फेसबुक पर डाटा इस्तेमाल और चोरी के आरोप के बीच यह जानना जरुरी है कि वादी ए कश्मीर में फेसबुक की बढ़ी मक़बूलियत और व्हाट्सएप ग्रुप्स की बढ़ी सक्रियता बीच क्या डाटा का खेल और सयकोलॉजिकल प्रोफाइल बनाने का कही गन्दा खेल तो नहीं खेला गया है ? फेसबुक पर लाखो की तादाद में फ्रेंड्स , एप्प्स के जरिये हज़ारो ग्रुप, 24 घंटे आने वाले मैसेज और खतरनाक वीडियो किसी को पागल बनाने के लिए काफी है । लड़के या लड़किया क्या वैसे ही हैं जो 10 -20 साल पहले हुआ करते थे। जरा पूछ आइये कश्मीर के वाल्देन से जहाँ सोशल मीडिया ने यहाँ नश्ले तबाह कर दिया है।
बन्दूक ने कश्मीर मे न केवल सियासी लीडरों की भीड़ खड़ी की बल्कि अकूत पैसे की बरसात भी की है । गाँव के झोपड़ियों में रहने वाले कई लीडरों के श्रीनगर और दिल्ली मे आलिशान बंगले देखे जा सकते है। तथाकथित आज़ादी के नाम पर पैसे की यह बरसात कश्मीर मे आज भी जारी है। आज अगर नौजवानो के हाथ में एंड्राइड फोन और सस्ता इंटरनेट है तो माना जाता है कि समाज अधिक सभ्य और विकास कर रहा है लेकिन अगर इंटरनेट नौजवानो में गुस्सा बढ़ा रहा है उसे बम और बन्दूक के लिए प्रेरित कर रहा है , एक दूसरे को मारने के लिए उकसा रहा है तो माना जायेगा कि ये सोशल मीडिया हमारे बच्चो को तरक्की और हुनरमंद बनाने के बजाय उसे फिदायीन बना रहा है। इसी कश्मीर में हर साल सैकड़ो बच्चे सीविल सर्विस,आई आई टी ,आई आई एम् ,मेडिकल इम्तहान पास कर रहे हैं। मॉडर्न गैज़ेट ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन दूसरी ओर सोशल मीडिया तबाही मचा रहा है। अब वाल्देन को अपने बच्चो के एंड्रॉएड फ़ोन चेक करने के साथ साथ यह पूछना होगा कि आपकी तालीम कैसी है ?
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