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फ़रवरी 15, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या आप पत्रकार हैं ,मैं तो नहीं हूँ

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न्यूज़ २४ के एक तथाकथित संपादक पिछले दिनों अपने एक ब्लॉग पोस्ट पर अख़बारों के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त कर रहे थे । संपादक महोदय ने दर्जनों अख़बारों को खंगाला ,पन्ना पलटा लेकिन उन्हें किसी पेज में संपादक का नाम नहीं दिखा । अख़बारों के प्रिंट लाइन से संपादक का नाम गायब हो जाना वे एक खतरनाक संकेत मानते है । मुझे नहीं मालूम कि बैग फ़िल्म के इस वरिष्ट संपादक का अख़बार से क्या सरोकार रहा है या यूँ कहे कि मीडिया से किस प्रकार का नाता रहा है क्योंकि न्यूज़ २४ की समाचार प्रस्तुति में ऐसा कभी कुछ नही दिखा जिस पर गर्व किया जाय और मेरे जैसे लोग कुछ सीख सके । प्रिंट मीडिया को नशिहत देने से पहले इन तथाकथित संपादको से यह निवेदन होगा कि वे अपने गिरेवान झांके तो उन्हें शायद यह एहसास होगा कि इसके लिए जिम्मेदार इलेक्ट्रानिक्स मीडिया ही है । अखबार पहले संपादक के नाम से जाना जाता था । मुझे याद है कि टाईम्स ऑफ़ इंडिया को गिरिलाल जैन के नाम से नहीं जानते थे बल्कि दिलीप पदगोंकर के नाम से जानते थे । एशियन एज को आज तक मै एम् जे अकबर के नाम से ही जानता हूँ । ये अलग बात है कि कुछ वर्ष पहले तक दिलीप पदगोंकर ज