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आतंकवाद और क्रिकेट :सियासत या बाज़ार

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 भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच के लिए  बाजार सज  चूका है। इतनी बुरी तरह हारने के बाद भी   एक बार फिर पाकिस्तान चैम्पियन्स ट्रॉफी के  फाइनल में कैसा पहुंचा ? कुछ लोग कहते हैं   इस जंग के   लिए  बाज़ार का दवाब था ?,लेकिन कश्मीर मे  जो जंग वर्षो से जारी है क्या वह बाज़ार का हिस्सा नहीं है ? माहे रमज़ान में कश्मीर में आतंकवादियों के खुनी खेल के बीच वादी के  सबसे बड़े मौलवी मीरवाइज़ उमर   फ़ारूक़ का पाकिस्तान की जीत के   लिए दुआ, यह दर्शाता है कि  जहां दाम मिले वहीं   ज़िंदाबाद।  मीरवाइज़ यह जानते हुए भी मस्त है कि जिस दिन   वह पाकिस्तान के लिए दुआ कर रहे थे , उसी दिन पाकिस्तान के दहशतगर्दो ने एक क़ाबिल पुलिस अफसर फ़िरोज़ डार सहित 7 पुलिस कर्मी की जान लेली। अनंतनाग में ड्यूटी पर मौजूद  फ़िरोज़ डार को लश्कर के दहशतगर्दो ने घात  लगाकर हमला बोला था और उनकी टीम को गोलियों से छलनी कर दिया। अपने टॉप लश्कर कमांडर जुनैद मट्टू के मारे जाने से बौखलाए दहशतगर्दो ने पुलिसकर्मियो के चेहरे  पर इतनी गोलिया  दागी थी जिसे उनको पहपाना पाना भी मुश्किल था फिर भी अगर मीरवाइज़ और गिलानी  इस  घिनोने ,बर्बर  हमले के वाबजूद  क्र

मध्यप्रदेश अजब है सबसे गजब है ,धरने पर सी एम शिवराज

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आदतों और विज्ञापनों से दबे हुए आदमी का सबसे अमूल्य क्षण सन्देहों में तुलता है, हर ईमान का एक चोर दरवाज़ा होता है जो सण्डास की बगल में खुलता है दृष्टियों की धार में बहती नैतिकता का कितना भद्धा मज़ाक है, कि हमारे चेहरों पर आँख के ठीक नीचे ही नाक है। ये पंक्तिया कवी धूमिल ने चाहे जिस  सन्दर्भ में लिखी हो लेकिन मौजूदा की सियासत पर सटीक बैठती है।  मध्य प्रदेश के सी एम् शिवराज किसानो के सबसे बड़े हितैषी माने जाते हैं। खाट पर किसानो के साथ शिवराज की पंचायत  मध्य प्रदेश के अखबारों में पहले पेज पर छपती थी , टी वी  उनका किसान संवाद टी वी वालों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया बन गया था। लेकिन उग्र आंदोलन में  6 किसानो की मौत के बाद शिवराज घुटने टेके अनसन पर बैठे हैं। यह उस राज्य का हाल है जिसका कृषि विकास दर 14 फीसद है और शिवराज इसके लिए पुरष्कृत भी हो चुके हैं। यानी तथाकथित किसानो को कर्जा माफ़ी से कम मंजूर नहीं हैं ,अपने राहुल बाबा भी यही चाहते हैं .. देश के तमाम किसानो का कर्जा मॉफ हो जैसे उन्होंने अपने राज में किया था।  तो भैया राहुल जी 2009 में ठीक चुनाव से पहले एक गरीब देश के अर्जित धन को