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जनवरी 11, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रधानमंत्री बनने के लिए पप्पुओं में जंग

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मुंबई हमले को लोग अबतक भूल गए होते । लेकिन इस देश का मीडिया उसे भूलने नहीं देता। ४० दिनों तक पाकिस्तान ने हमारे नेताओं को थकाया कि अजमल आमिर कसाब का पाकिस्तान से कोई सरोकार नहीं है । अब कह रहा है कि भारत की कमजोर सूचना के आधार पर नॉन स्टेट ऐक्टर को ढूंढा जा रहा है । पाकिस्तान के बयान से खुश हमारे विदेश मंत्री ने कहा कि अगर पाकिस्तान उनपर करवाई अपनी अदालत में भी करता है तो हमें कोई एतराज नहीं है । ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड मिल्बंद ने ठीक एक दिन पहले भारत आकर हमें बता गए थे कि पाकिस्तान की अदालत में भारत को न्याय मिल सकता है । और वहां की न्यायपालिका के बारे में ढेर जानकारियां बाट गए थे। हो सकता हो की राहुल के साथ अमेठी जाने की हड़बड़ी में वे डेनिअल पर्ल और पाकिस्तान के साबिक चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी के वाकये को वो भूल गए हों । लेकिन मुंबई हमले और कश्मीर मसले को जोड़कर उन्होंने हमारे नेताओं को यह संदेश दे दिया कि अगर पाकिस्तान के मामले में भारत अमेरिका और इंग्लॅण्ड का सहयोग चाहता है तो उसे कश्मीर के मामले में उसकी दखल को माननी होगी । यानि कुलमिलाकर देखें तो मम्मी की बदौलत पाकिस्