इस सियासत का कहीं अंत नहीं
जीले जीले पाकिस्तान , कश्मीर बनेगा पाकिस्तान .......... जैसे नारे देने वाले लोग कश्मीर में लगभग हाशिये पर चले गए थे । कश्मीर की बदली सूरत में एक नई सोच विकसित हुई थी । भारत के प्रति कश्मीर में बदलते रुख ने पाकिस्तान समर्थित जमातों और आतंकवादी संगठनों को हासिये पर ला दिया था । कश्मीर की बदली सूरत की कामयाबी के श्रेय लेने के लिए कई लोग आगे आ सकते हैं लेकिन सबसे बड़ी कामयाबी भारत के लोगों को जाना चाहिए जिन्होंने पुरे धैर्य के साथ हुकुमतो के उल्टे सीधे फैसले को नजरंदाज किया है । नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कश्मीर पर उनके लिए गए निर्णयों पर चर्चा के लिये यह न तो उपयुक्त जगह है और न ही उपयुक्त वक्त। मोजुदा समय में अमरनाथ श्रायण बोर्ड के एक फैसले को लेकर शुरू हुए हिंषक झड़प ,को देखें तो आप कह सकते हैं कि कश्मीर आज भी वहीँ है जहाँ ९० में थी । कश्मीर में पत्रकारिता में सक्रिय एक पत्रकार से मैंने इसकी वजह जाननी चाही तो उनका भी वही जवाब था जो शैयद अली शाह गिलानी और यासीन मालिक का था । यानि कश्मीर में यह बात लोगों के दिलो दिमाग में बैठ गई है कि अमरनाथ बोर्ड को दिए गए ४० एकड़ जमीन