क्यों निशाने पर आये बिहारी मजदूर नीतीश जी से ज्यादा एहसान फरामोश है कश्मीर ?
आदरणीय एल जी साहब , 2006 में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि बगैर बिहारी मजदूर के हम कश्मीर में एक इंच सड़क नहीं बना सकते। बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने अपना अनुभव पत्रकारों को सुनाया था कि सड़क चाहे जांस्कार में बन रहा हो या कुपवाड़ा में हमने एक भी मजदूर अपने रियासत का नहीं देखा। हालाँकि आज़ाद साहब ये नहीं कहा कि 1 करोड़ की आबादी वाले जम्मू कश्मीर को 12 करोड़ आबादी वाले बिहार से ज्यादा केंद्रीय फण्ड मिलता है उसे पहाड़ो पर सड़क जैसे जोखिम काम करने की क्या जरुरत। कश्मीर का सालाना बजट बिहार से ज्यादा है। सरकारी नौकरियों में बिहार से ज्यादा कश्मीर के लोग हैं लेकिन अफ़सोस उन्ही बिहारी मजदूर को जिन्होंने कश्मीर में बुनियादी सहूलियतें मजबूत की ,अपने बिहार से ज्यादा कश्मीर में स्कूल /अस्पताल बनाये उन्हें आतंकियों ने जब तब निशाना बनाया है । अफसोस है कि आतंकी हमले में मारे गए टूरिस्ट को लेकर वही मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद खूब रोये थे लेकिन इन बिहारी मजदूरों की मौत पर संवेदना के दो शब्द भी कश्मीर से नहीं मिला ।नीतीश के पंचायती राज और प्रशासन में बेइंतिहां भ्रष्टाचार ने गरीब लोगों को विकास की धारा