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बीजेपी को छुटा वाजपेयी का साथ कांग्रेस को मिला आम आदमी का साथ

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आई पी एल और चुनावी कवरेज़ की टी आर पी को लेकर पिछले दिनों यह ख़बर आई कि लोगों ने चुनावी हल चल से ज्यादा इस बार क्रिकेट मैच को दिया । सरकार बनाने में लोगों की दिलचस्पी को समझा जा सकता था । तो क्या आख़िर कार कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ का नारा चल निकला । क्या बीजेपी का महगाई से लेकर आतंकवाद के तमाम नारे को लोगों ने अनसुना कर दिया । क्या लाल कृष्ण आडवानी मतलव बीजेपी के नए प्रयोग को लोगों ने खारिज कर दिया । ऐसे ढेर सारे सवाल अभी उठेंगे और ढेर सारी समीक्षाएं आएँगी ,लेकिन इतना तो तय है कि आम आदमी का हाथ कांग्रेस के साथ बरक़रार है। पहली बार बीजेपी वाजपेयी का चेहरा अलग करके चुनावी मैदान में आई थी । यह जानते हुए कि आज भी बीजेपी को देश में ज्यादा लोग वाजपेयी की पार्टी के तौर पर जानते है । शायद बीजेपी की यह बड़ी भूल थी कि एक कुशल रणनीतिकार आडवानी को बीजेपी का फेस बना दिया । यह जानते हुए भी कि आडवानी का लोगों से सीधा संवाद नही है । लोगों को अपनी यात्रा में आडवानी ने जरूर आंदोलित किया लेकिन नेतृत्वा के मामले में लोगों के सामने वाजपेयी की छवि थी । यह पहली बार हुआ कि बीजेपी के पूर्व घोषित प्रध...