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मार्च 29, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुश्किल वक्त में ही यह देश उत्साहित दिखता है इसलिए एक दिया तो बनती है : देश के नाम

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नाम में क्या रखा है ? बात पते की करने वाले मानेंगे कि नाम में कुछ न कुछ जरूर  रखा है। 100 साल पहले बंगाल से चला एक नरेंद्र ने भारत की श्रेष्ठता और उसकी मानवतावादी धर्म से दुनिया को परिचय कराया था । उन्ही के उतिष्ठ भारत के संकल्प से प्रेरित एक और  नरेंद्र भारत की चुनौतियों से लोहा लेने के आज  चट्टान की तरह खड़ा है। जिसके एक सन्देश से 130 करोड़ जनता को अपनी ही प्रतिध्वनि सुनाई देती है।उसे फर्क नहीं पड़ता उसके आलोचक क्या कहते हैं ,उसे फर्क नहीं पड़ता उसकी अपील पर मीडिया कैसी प्रतिक्रिया देगी। उसे सिर्फ यह  पता है जिन्हे बताना है वह समझ गया है। एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद शाम को शंख फूकते ताली बजाते भारत को देखकर कुछ लोग कहने लगे कोरोना वायरस मर गया होगा ? लेकिन वो मोदी को समझने में फिर भूल कर बैठे।आज  दुनिया के अलग देशो में वही थाली और शंख फुक्ने की आवाज लॉक डाउन में आने लगी है ।   पिछले सौ साल के तारिख़  में झांके क्या ऐसे मुश्किल दौर से  भारत सहित दुनिया का मुकाबला कभी हुआ था  ? सदियों बाद भारत के सामने कोरोना एक महा प्रलय बनकर चुनौती दे रहा है और आज  हमारी अस्तिव और स्वाभिमान को ललकार

#COVID19 भारत के जज्बे को सलाम : देश ने कहा हम हैं न !

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खो रे मंगला पड़ल रह ! 70 - 80 के दशक में बिहार में आम बोल चाल की लोकाक्ति थी। साधन के अभाव के बीच अपनी व्यवस्था में मस्त रहने का अंदाज़ हमने बचपन में सीखा था. ,बाद में एक कहावत और प्रचलित हुई आब कहु मन केहेन लगैया ? कोरोना महामारी की बीच लॉकडाउन में दुनिया भारत की ओर देख रही है इस उम्मीद से कि कभी मैक्समूलर ने भी कहा था कि भारत से वेस्ट को बहुत सीखने की जरुरत है। 135 करोड़ की आबादी वाला मुल्क जहाँ साधन जुटाने का संघर्ष आज भी सबसे ज्यादा है उसने अपने को घरों में कैद कर लिया है। यह इंसानी स्वभाव के बिपरीत सरकार का आग्रह है लेकिन पी एम् मोदी की बातों पर लोगों ने यकीन किया है। यह एक असम्भव टास्क था। इटली और भारत में कोरोना का फर्स्ट फेज लगभग एक साथ ही आया लेकिन हेल्थ सर्विस में नंबर 2 की इटली इस महामारी में अपने 10000 से ज्यादा लोगों को खो दिया और लाखों की तादात में लोग पॉज़िटिव केस आने पर आइसोलेशन में है । अमेरिका की हालत देख लीजिये ,ब्रिटेन की हालत देखिये। क्योंकि वहां के मंगला ने सरकार की नहीं सुनी।भारत में महामारी की रफ़्तार का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं ,पॉज़िटिव केस का आंकड़ा अभी भी