स्मृति दिवस : 75 साल बाद लाल किले से क्यों छलका बंटवारे का दर्द ?
आज़ादी के 75 वें वर्ष के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से छलका बंटवारे का दर्द। प्रधानमंत्री मोदी ने "विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" मानाने का संकल्प की वजह लाल किले से बताई । स्वतंत्रता के अमर शहीदों के नाम में उन लाखों शहीदों के नाम भी पहली बार जुड़े जो अगले ही दिन देश जब आज़ादी के जश्न में सराबोर होने वाले थे , उन्हें विभाजन के कारण देश की आज़ादी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी। वे अपने ही हिंदुस्तान में बेगाने होकर निकाल बाहर किये जाने लगे और मारे गए। कहते हैं न जो मुल्क अपना इतिहास नहीं याद रखता वो एक दिन खुद इतिहास बन जाता है। अपने सन्देश में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा "जहाँ भारत के लोग आज़ादी का अमृत महोत्सव मानते हुए अपनी मातृभूमि के उन बेटे बेटियों को नमन करते हैं जिनको भारत के विभाजन के दौरान अपने प्राण न्योछावर करने पड़े थे। भारत सरकार ने अपने प्राण गंवाने वाले लोगों की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया है"। "आज़ादी या विभाजन" 15 अगस्त 1947 को हमे ये दोनों चीजें एक साथ मिली थी। ये अलग बात है