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मार्च 31, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक भारत, पाकिस्तान में

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आज़ादी के बाद यह पहला मौका है जब पाकिस्तान की  नॅशनल असेंबली और सरकार ने अपने  पांच साल पुरे किये हैं .विरासत से मिली जम्हुरियत (लोकतंत्र ) को वहां के जमींदारों ,राजनेताओ और फौज ने मिलकर    अस्मत लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है .लेकिन सियासी तौर पर नाकाबिल घोषित आसिफ अली जरदारी ने वह कमाल दिखाया है जो कमाल अबतक भुट्टो से लेकर नवाज शरीफ तक नहीं दिखा पाए आसिफ अली जरदारी का सद्र बनना पाकिस्तान में सबको चौकाया था .लेकिन मिस्टर १० परसेंट के नाम से मशहूर इस कारोबारी ने बड़ी चालाकी से फौजी जनरल अशफाक कयानी को 2013 तक सेवा विस्तार देकर अपनी हुकूमत को फौज के तख्ता पलट की रिवायत से बचा लिया था  .यानी सत्ता के दो केंद्र बनाकर बेनजीर भुट्टो के पति सद्र जरदारी ने  सियासी  उथल -पुथल ,अव्यवस्था ,खुनी खेल और दहशतगर्दी से लहुलहान पाकिस्तान में तथाकथित स्थायी सरकार का एहसास दिलाया  . अपने पडोसी मुल्क भारत के सियासी सूरतेहाल से सबक लेकर जरदारी ने न केवल गठ्वंधन सरकार चलाने में महारत हासिल की बल्कि सत्ता के दो केंद्र बनाकर भारत के प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह के प्रयोग को पूरी तरह से आत्मसात किया .लोकप्रियत