किसका भारत ?
अभी तो ये अंगडाई है बाकि अभी लड़ाई है । बचपन से इस नारे को समझने का हमारा प्रयास कामयाब नहीं हो पाया था लेकिन मौजूदा गुर्जर आन्दोलन ने इसके भाव को स्पष्ट कर दिया है । पूरे देश मे इनदिनों गुर्जर आन्दोलन के अलावे कोई मुद्दा ही नहीं बचा है । राजस्थान हो या हरियाणा या फ़िर उत्तरप्रदेश इन आन्दोलनकारियों का एक ही नारा था ' जो हमसे टकरायेगा चूर चूर हो जाएगा , ये चूर चूर की बात सरकार पर तो कोई असर नहीं कर पाई लेकिन बेचारी आम जनता जरूर चूर चूर हो गई। इस आन्दोलन के दौरान अगर आप कही बंद या फ़िर जाम के शिकार हुए हों तो मेरी तरह आप ने भी ये जरूर ऑफर किया होगा की मेरे हिस्से का आरक्षण आप लेलो लेकिन भगवान् के लिए लोगों को आने जाने की सहूलियत देदो । यह देश गुर्जरों का भी उतना ही है जितना मिनाओं का जितना ठाकुरों का उतना ही पठानों का उतना ही पंडितो का लेकिन ये अलग बात है की सत्ता की दलाली मे कभी मीना धोके से आरक्षण का कोटा पा लेता है । मीना के यह चालाकी गुर्जरों ओ बी सी से और नीचे आने के लिए प्रेरित करता है । ये इस देश मे ही सम्भव है की आर्थिक रूप से जो तबका ज्यादा सम्प्पन है वही अपने को सामजिक रूप से