सत्ता की जंग में पप्पू और ठेकेदार आमने सामने
सत्ता के लिए जंग का आधिकारिक रूप से एलान हो चुका है । सियासी दलों में जोड़ तोड़ का सिलसिला भी चल पड़ा है । सत्ता हथियाने के लिए नए नए समीकरण बन रहे है । लेकिन सत्ता के इस खेल में आम वोटर हाशिये पर है । दोनों बड़ी पार्टियाँ कांग्रेस और बीजेपी क्षेत्रीय क्षत्रपों से हर दिन डिक्टेशन ले रहे हैं । मानो मैदान में कांग्रेस और बीजेपी महज पुतला है और उनकी डोर वोट के ठेकेदारों के पास है । यानि सरकार बानाने और बिगाड़ने का सारा खेल क्षेत्रीय दलों के पास है । २००४ के चुनाव परिणाम को याद कीजिये कांग्रेस ने महज १४५ सीटें जीती थी ,जबकि बीजेपी ने १३८ । लेकिन क्षेत्रीय दलों की कामयाबी को अपने साथ जोड़ कर कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली । यानि महज २६ फीसद वोट हासिल कर कांग्रेस ने न केबल पॉँच साल तक देश चलाया बल्कि १अरब आवादी वाले इस देश को अपने फैसले से प्रभावित किया । कई मसले पर फैसले नही लेकर भी सरकार ने देश का उतना ही नुक्सान किया । लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार के काम काज और फैसले की कोई समीक्षा इस चुनाव में होने वाला है । अगर कोई एंटी इन्कोम्बंसी की बात होती ,सरकार के पाँच साल चुनावी मुद्दा होता तो न त...