सरकारों की सियासत में एक टाईगर की हत्या
बस्तर के इस टाइगर को किसने मारा ? क्यों इस टाइगर की मौत पर जश्न मना रहे थे नक्सली ? वह टाइगर जिसने पिछले १० वर्षों में ४० बार मौत को हराया था ,वह टाइगर जिसने नक्सल के खिलाफ अपने १५ से ज्यादा अजीजो को खोया था आखिरकार नक्सली हमले का शिकार बन गया .महेंद्र कर्मा बस्तर का यह अकेला टाइगर जिसने दंडकारण्य के रेड्कोरीडोर में माओवादी अधिपत्य की चुनौती दी थी ,जिसने न कभी केंद्र से न ही कभी राज्य सरकार से कोई मदद की दरकार की और माओवाद की छल -प्रपंच से आदिवासियों को आगाह कराया था .लेकिन आख़िरकार सियासत के प्रपंच में उलझ कर मारा गया .पिछले दिनों जगदलपुर के दरभा घाटी में अम्बुश लगाकर नक्सालियों ने महेंद्र कर्मा सहित २८ लोगों को मौत के घाट उतार दिया महेन्द्र कर्मा को गोली मारने के बाद नक्सली उनकी डेड बॉडी पर नाच रहे थे। तो क्या यह नक्सल आइडियोलोजी की जीत थी या फिर केंद्र के नक्सल अभियान अभियान की हार थी .? घटना की समीक्षा के लिए रायपुर में आपात बैठक हुई जिसमे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने सीधे पूछा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन है? शायद इस यक्ष प्रश्न का उत्तर उनके पास भी नहीं था