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दिसंबर 30, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कांग्रेस मुक्त भारत ही राहुल गाँधी को युवराज से जन -नायक बना सकता है।

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आदरणीय राहुल जी , हम  शर्मिंदा हैं ,  कांग्रेस मुक्त भारत के बीजेपी  अभियान अबतक  कामयाब नहीं हो पाया।   लेकिन कांग्रेसी   संस्कृति ख़त्म होने की तमन्ना  आज भी  अमूमन हर आम भारतीय को है। हमारे जैसे आम नागरिक के मन में यह सवाल जिन्दा है कि  क्यों महात्मा गाँधी ने कहा था कि देश को आज़ादी मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी को अब  ख़तम कर देना चाहिए।   देश सेवा के लिए बनी कांग्रेस  का मतलब सिर्फ सत्ता हासिल करने का फॉर्मूला  क्यों हो गया? क्यों बीजेपी सहित दूसरी पार्टिया कांग्रेस के सत्ता फॉर्मूले को आत्मसात करती चली गयी और हर  सत्ता व्यवस्था का कांग्रेसीकरण हो गया। हर चुनाव में मुफ्तखोरी के नये  नये फॉर्मूले के साथ सियासी पार्टियां जनता को भरमाने लगी और टैक्सपेयर का पैसा पानी की तरह बहाये जाने लगा।  70 के दशक में एम जी आर ने फ्री धोती -साडी बांटकर कांग्रेस पार्टी को तमिलनाडू   से चलता कर दिया था। आज इस फ्रीबी यानी कांग्रेस की  मुफ्तखोरी के सियासी फॉर्मूले ने दक्षिण से कांग्रेस के ही   पाँव उखाड़ दिए हैं  । इसी मुफ्तखोरी ने जनता की निर्भरता सरकार पर बढ़ा दी है  तो सियासी पार्टियों   ने सत्ता

हमारी पहचान की मैथिली हमारी डी एन ए में है : हारुण राशीद

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दिल्ली के मावलंकर हॉल में मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह, मेरे लिए खास और प्रेरणादायक रहा। अखिल भारतीय मिथिला संघ के इस आयोजन की भव्यता मैथिल -मिथिला की भागीदारी से ज्यादा मंचासीन विद्वत जनो का सुनना और मिथिला-मैथिली के बारे में उनका व्यक्तिगत अनुभव मेरे जैसे अदना पत्रकार के लिए रोमंचक था। विशिष्ट अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी का मिथिला को लेकर समझ और मैथिली की व्यापकता को लेकर उनका उदगार मेरे जैसे अनपढ़ मैथिल को शर्मिंदा कर रह था। हरिवंश जी वरिष्ठ पत्रकार/संपादक  रहे हैं लेकिन मैथिली भाषा में मिथिलानी के योगदान को उन्होंने एक समाजशास्त्री की तरह समझाया। बिहार विधान परिषद के सभापति हारुण राशीद ने उपस्थित दर्शक दीर्घा के बीच एक महत्वपूर्ण सवाल उछाला "के मैथिल सुपौल वाला मैथिल या दरभंगा मधुबनी वाला मैथिल "। हिन्दू मैथिल या मुसलमान मैथिल। ब्राह्मण के मैथिली या मिथिलांचल में रहनिहार के मैथिली। टूटल फुटल मैथिली बजैत हो या लच्छेदार मैथिली सब मैथिल छी। ई हमर ,हमर अंचल के मातृभाष अछि हमारा सबहक सामूहिक सामाजिक पहचान अछि।मिथिलाचल को जोड़ने के लिए हारुण साहब ने अटल बिहा