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पहलीबार जब सरस्वती जी के रूप में मुझे सुषमा जी मिली थी

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1996 में जब 13 दिन बाद अटल बिहारी वाजपेयी की पहली सरकार गिरी और विपक्षी पार्टियां  सांप्रदायिक बनाम धर्मनिरपेक्षता का हवाला देकर संयुक्त मोर्चा की सरकार बना कर संसद में विश्वास मत लेने पहुंची । सुषमा जी ने इस अवसरवादी सियासत को धोखा बताते हुए संसद में अपने ओजश्वी भाषण में कहा था आज भारत में रामराज्य की नींव पड़ गयी है। उन्होंने जोर देकर कहा था यह देश देख रहा है कम्युनल कौन है और सेक्युलर कौन है और जल्द ही एक मजबूत बीजेपी सत्ता में वापस होगी और अपने संकल्पों को पूरा करेगी। कल लोकसभा में धारा 370 हटाने के निर्णय के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी को भेजे अपने अंतिम ट्वीट में सुषमा जी ने कहा "'मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी" और चंद घंटो के बाद मानो वे आश्वस्त होकर महानिर्वाण की अनंत यात्रा पर निकल गयी थी।  सांप्रदायिक बनाम धर्मनिरपेक्षता :1996  "धर्मनिरपेक्षता का बाना पहनकर हम पर साम्प्रदियकता का आरोप ये तमाम लोग सत्ता के लिए एक हो गए हैं। संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्षता के स्वरुप की क्या कल्पना की होगी और इस सत्ता की सियासत न