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रामलला को मिल रहे हैं तारीख पर तारीख : असहिष्णु और डीवाइडर कौन ?

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अब पंचों को मिला सुप्रीम अदालत से 15 अगस्त तक का वक़्त। आख़िरकार राम जन्‍म भूमि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी यह मान बैठी है कि इसे आपसी सहमति से सुलझाया जा सकता है। लेकिन आस्था के प्रश्न को टाइल सूट की जिद पर अदालत ने 9 साल बेवजह खर्च क्यों कर दिया ? यह प्रश्न आज भी अनुत्तरित है। मध्‍यस्‍थता से मसले को सुलझाने के लिए जब  सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण भारत के तीन प्रोफेशनल लोगों का नाम तय किया था तो माना गया था कि आंदोलन से जुड़े उत्तर भारत के लोगों को इससे दूर रखा जायेगा। हालांकि रामजन्म भूमि के मुद्दे को मौजूदा दौर में केरल के नायर दंपती ने ही अगुवाई की थी और रामलला विराजमान के लिए संघर्ष किया था। सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त मध्यस्थकार आर्ट ऑफ लीविंग के संस्‍थापक श्री श्री रविशंकर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मोहम्‍मद इब्राहिम खुलीफुल्‍लाह और वरिष्‍ठ वकील श्रीराम पंचू यह 3 महीने की अपनी कोशिश के बाद यह दावा कर रहे हैं कि मामला हल होने के करीब है। भरोसे की वजह जो भी हो लेकिन विभिन्न पक्षों में संवाद शुभ संकेत जरूर है।  इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के वर्षों बाद आज सुप्रीम अदालत ने जिस भावना को