ग्रामीण भारत में नक्सली हिंसा का सूत्र राजधानियों में ढूंढिए ...
अर्बन नक्सल पर मेरा प्रकाशित ब्लॉग (25 /04 / 2010 ) झारखण्ड के पूर्व विधानसभा स्पीकर और मौजूदा सांसद इन्दर सिंह नामधारी ने झारखण्ड सरकार को यह सुझाव दिया था कि " एक साल तक झारखण्ड मे सारे विकास के काम रोक दिए जाय .सरकार और मीडिया मे इसका माखौल उड़ाया गया था . नामधारी जी की यह दलील थी की आदिवासी इलाके में विकास के नाम पर जो पैसे का बंदर बाट हो हैं , उसमे सबसे ज्यादा फायदा नक्सालियों को ही हो रहा है। सरकार की हर योजना में नक्सलियों का 30 % मिलना कॉन्ट्रैक्ट में तय है. यानि नक्सली आन्दोलन को बढ़ने से रोकना है तो उसके फंडिंग के इस सुलभ तरीके को रोकने होंगे " .सरकारी पैसा ,सरकारी हथियार लेकिन नक्सलियों के निशाने पर आम लोग और सरकार। कभी आई पी एल के बारे मे गृहमंत्री चिदम्बरम ने कहा था कि कुछ चलाक लोगों ने क्रिकेट को मनोरंजन के चासनी मे डाल कर इसे एक फ़ॉर्मूला बना दिया है .लेकिन नक्सल आंदोलन में कुछ बुद्धिजीवियों के कुशल प्रबंधन को समझने मे वे अब तक नाकाम रहे है। दंतेवाडा नक्सली हमले से आह़त गृह मंत्री ने एक बार फिर नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई