भारत की सॉफ्ट स्टेट की छवि और प्रधान मंत्री मोदी
क्या भारत पाकिस्तान में बनी अपनी सॉफ्ट स्टेट की छवि तोड़ पायेगा,? शायद नहीं ,शायद हाँ। नहीं इसलिए कि यह छवि भारत की संस्कृति बन गयी है। हाँ ! इसलिए कि भारत की मौजूदा हुकूमत देश की बेहतर छवि बनाने के लिए ज्यादा उत्सुक है या यु कहे कि नेतृत्व इसके लिए संजीदा है। भारत -पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच मीटिंग एक बार फिर बिना एक कदम आगे बढे दम तोड़ गयी । जाहिर है अब यह माना जायेगा कि भारत अपने पोजीशन से समझोता करने को तैयार नहीं है।२०१४ में दोनों मुल्को के बीच सचिव स्तर की मीटिंग इसलिए रद्द कर दी गयी थी कि पाकिस्तान अपनी चालाकी से बाज नहीं आ रहा था । शिमला एग्रीमेंट से लेकर लाहौर एग्रीमेंट तक भारत पाकिस्तान के बीच हर मसला द्विपक्षीय हल करने की इजाजत देता है फिर अलगाववादी लीडरो को तीसरा पक्ष बनाने की जींद पर पाकिस्तान क्यों अडिग है। क्या श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके के कुछ पेड लीडरान (जैसा कि ए के दुल्लत अपनी चर्चित किताब में बता चुके है ) जिनकी सियासत महज एक कारोबार है ,कश्मीर के नुमाईंदे कहलाने का हक़ रखते है ? तो फिर १५० से ज्यादा एम एल ए -एम एल सी ,२० ,००० से