संदेश

मार्च 4, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वच्छ भारत का यह कारवां देश की राजनीति /अर्थनीति में भी बदलाव लाएगा और इसके लिए मोदी याद किये जाएंगे ..

चित्र
लम्बे अरसे के बाद एक निजी चैनल के कार्यक्रम में सोनिया जी खूब बरसी ,मोदी सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई। ऐसा लगा चैनल ने सोनिया जी के लिए इलेक्शन मंच बना दिया था। वैसे भी सोनिया जी या तो चुनावी सभा में बोलती है या फिर कमिटेड पत्रकारों के प्रोग्राम में ,संसद में वह क्यों नहीं बोलती ,क्यों देश के महत्वपूर्ण सवाल अपने वकील सांसदों के जरिये बोलती हैं ? यह प्रश्न पिछले 25 साल से अनुत्तरित है। लेकिन देश में आईडिया ऑफ़ इंडिया पर हो रहे तथाकथित आघात से उद्वेलित सोनिया गांधी ने एक बड़ा मंच संभाल लिया था, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सिंगापूर से आईडिया ऑफ़ इंडिया का अलख विदेशो में जागते रहे हैे । ये नफरत की सियासत ही अगर आईडिया ऑफ़ इंडिया है तो सोनिया जी और उनके कुनबे को सत्ता के लिए कुछ वर्ष और इन्तजार करना होगा। क्योंकि देश की 70 फीसद आवादी पर राज करने वाली बीजेपी और पी एम मोदी ने देश में सियासत की एक नयी धारा दी है जिसमे आईडिया ऑफ़ इंडिया ,गाँधी -नेहरू ,सेकुलर ,सामजवाद ,जातिवाद जैसे जुमले न्यू इंडिया में बे असर हो गए है। 25 साल तक लगातार सत्ता में बने रहने वाले माणिक सरकार सत्ता से क्यों बे

क्यों संजय की दृष्टि कमजोर हो गयी है ?

चित्र
25 साल बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कहा है "हम साथ साथ हैं " तो 25 साल बाद त्रिपुरा में राजनीति ने ऐसी पलटी मारी है कि सियासी पंडित चौक गए हैं, तो हैरान बुद्धिजीबी नए तरीके से चुनावी गणित समझाने लगे हैं। आंकड़ों के मायाजाल से  बीजेपी को मिली  जनमत को ठीक वैसे ही नकार रहे हैं जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव  के बाद "बुआ और भतीजे " ने  हार का ठीकरा ई वी एम पर फोड़ा था। सियासी घमासान में कल के दोस्त दुश्मन बन रहे है और आज के दुश्मन दोस्त बनने का दम्भ भर रहे हैं ।  कुरक्षेत्र 2019 की तैयारी में मीडिया और सोशल मीडिया पर शंख फुके जा रहे हैं.. अनगिनत संजय 2019 के महाभारत की पल पल की खबरे देने के लिए  रिहर्सल में जुट गए हैं. .. सबसे तेज और सटीक लेकिन दिक्कत यह है कि  धृतराष्ट्र अँधा नहीं है। लेकिन इतने महारथियों के  बीच अर्जुन का बार बार ननिहाल जाना  संजय को यह अवसर जरूर देता है कि वे अपनी टी आर पी बनाले। लेकिन चाणक्य अब किस मोर्चे की फतह की तैयारी में है और उसके तरकश में कितने तीर है यह बात संजय नहीं जानता। वह इसलिए नहीं कि चाणक्य की महीन चाल को समझना मु