मुंबई हमले की तर्ज पर फिर पुणे मे एक जोर दार धमाका हुआ . दस लोगों की जान गयी दर्जनों घायल हुए .एक बार फिर वही आतंकवाद की चर्चा ,एक बार फिर पाकिस्तान से कश्मीर मसले को हल करने का सुझाव . यानि ये हमले होते रहेंगे और पाकिस्तान हमसे यह कहता रहेगा कि इस आतंकवाद को ख़तम करने के लिए मसले कश्मीर का हल ढूँढना जरूरी है . और हर आतंकवादी हमले के छः महीने या फिर साल भर बाद फिर होगी भारत पाकिस्तान के बीच बातचीत की पहल .लेकिन हमने कभी यह जानने की कोशिश नहीं कि आखिर कश्मीर के आवाम क्या चाहते है .लोगों ने भारी तादाद मे आकर वोटिंग की तो भारत सरकार गद गद कि कश्मीरी हमारे साथ है . शोपिया मे श्रीनगर मे बंद और हड़ताल हुए ,हफ्ते भर पथार्बजी हुई ,कुछ नौजवान मारे गए तो पाकिस्तान को लगा कि कश्मीरियों का दिल अभी भी पाकिस्तान के लिए धड़कता है . अचानक कश्मीर मे कभी हुर्रियत के लीडरों की तूती बोलने लगती है तो कुछ ही दिनों के बाद इनका नाम लेने वाला नहीं मिलता है .लेकिन इस सबका जवाब पुलवामा के वाहिद के पास है . पुलवामा के नौजवान वाहिद से मेरी मुलाकात दिल्ली में हुई .वाहिद ने शोपिया मे बंद हड़ताल को अपना समर्थन दि