बिहार : बाढ़ और भ्रष्टाचार की कहानी
बाढ़ ?" बकरा नदी का पानी पूरब पश्चिम दोनों कछार पर छह छह कर रहा है। दुहाय कोसका महारानी। कोसी अंचल की हर छोटी बड़ी नदी कोसी ही कहलाती है। बराज बनाने के बाद भी बाढ़ ? कोस्का मैया से भला कौन आदमी जीतेगा ?लो बांधो कोसी को ?अब क्या होगा ? कल मुख्यमंत्री आसमानी दौरा करेंगे। रिलीफ भेजा जा जार रहा है।" फणीश्वरनाथ रेणु के 50 साल पुरानी रिपोर्ट और आज में क्या बदला है " चूल्हा पर चरहल भातक अदहन कोसी धार में भासी गेल " कह कर फफक फफक कर रो पड़ी पीड़िता "दैनिक भास्कर " झमाझम मानसून के बीच गंगा ,कोसी ,पुनपुन ,फल्गु ,कर्मनाशा,दुर्गावती,गंडक ,घाघरा ,कमला ,बलान ,महानंदा दर्जनों छोटी बड़ी नदियाँ मानो बिहार को जल सम्पदा से मालामाल कर रही हों ,लेकिन चारो ओर प्रलय दीखता है । ये नदियां बिहार की जीवनधारा बन सकती थी लेकिन हर साल बाढ़ की विभीषिका ,हर साल पुनर्वास की खानापूरी और राहत के नाम पर खुले आम लूट और फिर अगलीबार इससे बड़ी विभीषिका का इन्तजार। बिहार के 18 जिलों में जलप्रलय से 3 करोड़ से ज्यादा लोग हर साल प्रभावित होते हैं। हर साल बाढ़ को लेकर सियासत में हलचल होती...