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फ़रवरी 6, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तहरीर चौक के बाद अब कौन चौक .......

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"अब मिस्र आज़ाद है " तहरीर चौक पर अपार जनसमुदाय का यह नारा पूरी दुनिया मे व्यवस्था परिवर्तन की लो को एक उम्मीद से भर दिया है इजिप्ट के .तहरीर चौक से उठी यह क्रांति की चिंगारी अरब वर्ल्ड के साथ साथ एशिया के देशो मे जल्द ही फैलने वाली है .अरब देशो मे सत्ता शीर्ष पर कब्ज़ा जमाये हुए सत्ताधीशों की बेचैनी बढ़ने लगी है .टूनिसिया मे एक मजदूर की मौत क्रांति का आगाज कर सकती है और वर्षो से सत्ता पर काबिज निरंकुश शासक को मुल्क छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है .मिस्र मे फेसबुक पर एक लड़की का यह मेसेज "मै तहरीक चौक जा रही हूँ" .........एक नयी क्रांति की नीव डालती है और महज १८ दिन  के आन्दोलन ३० साल के हुस्नी मुबारक की सत्ता को उखाड़ फेकता है .तो क्या ऐसी क्रांति आज भारत मे संभव है ?क्या भारत मे व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा कभी क्रांति का रूप धारण कर सकता है ? व्यवस्था के खिलाफ रोष और क्षोभ न्यायपालिका को है ,मिडिया को है ,लोगों को है ,बुधिजिबियों को है लेकिन क्रांति को लेकर उत्साह कही नही है .सुप्रीम कोर्ट के जज की  शिकायत है कि सरकार न्यायपालिका को अधिकार संपन्न नही देखना चाहती .