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नवंबर 20, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रूपये का एयर फ्लाइंग

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दुनिया में तीन तरह के लोग होते  हैं एक वे जो जन्मजात  ईमानदार होते हैं ,एक वो जिनकी फितरत में बेईमानी  है एक तीसरा भी है जो परिस्थिति के अनुरूप संकल्प बदलता  हैं।  कालेधन के खिलाफ अभियान में सबसे ज्यादा बेचैनी  दूसरे नंबर के लोगों में ज्यादा है ये बात अलग है कि ईमानदार बनने की कोशिश में लगे आम आदमी को भी इस दौर में नोटबंदी ने मुश्किलें बढ़ा दी  है।   जनधन योजना और उसकी सफलता विफलता पर खूब चर्चा हुई। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हुई कि ज़ीरो बैलेंस के इन खातों की किश्मत कैसे बदलेगी।  लेकिन नोटबंदी के बाद पिछले एक हफ्ते में इन खातों में 21000 करोड़ रुपया जमा होना एक नयी हलचल की ओर इशारा करती है। जनधन के 25ooo एकाउंट्स की किश्मत कैसे पलटी यह आईटी के लोगों के लिए उत्सुकता का विषय हो सकता है लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में इन अकाउंट्स में बढ़ी हलचल ने ब्लैक एंड व्हाइट पर छिड़ी बहस को तेज कर दिया है।  चार्टर्ड प्लेन से मंगलावार को नागालैंड के दिमापुर एयरपोर्ट पर  पहुंचा करीब 4 करोड...

नोटबंदी : देश में सियासत के तर्क और अर्थ दोनों बदल जाएंगे

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कालेधन के खिलाफ अभियान  को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार शेर की  सवारी मानते हैं ,वे मानते हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले से जनसमूह की भावना जुडी हुई है।ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी लगभग ऐसा ही विचार रखते हैं  लेकिन नीतीश जी के सत्ता के साथी  लालू जी माया ,मुलायम , ममता  ,केजरीवाल और कांग्रेस के साथ खड़े  है। ममता जी के बंगाल में नोटबंदी के खिलाफ एक भी रैली सामने नहीं आयी है न ही लोगों का विरोध केरल,कर्नाटक,नार्थ ईस्ट के राज्यों और त्रिपुरा से सुना गया है. ममता दिल्ली में केजरीवाल के साथ रैली कर रही है तो कांग्रेस सहित दूसरे राजनीतिक  दल संसद के अंदर प्रदर्शन कर रहे हैं। विमुद्रीकरण के बाद असल बात तो यह है कि आज अपनी सियासत जिन्दा रखने  के पीछे लीडरों के पास  सही तर्क नहीं है ।यही वजह है कि संसद के अंदर और बहार विरोध करने वालों की अलग अलग जमात हैं। देश के आम अवाम राष्ट्रहित में इसे एक बड़ा फैसला मानकर  एटीएम /बैंक के लाइन में खड़े है, हालाँकि अब जमीनी हालात मे...