ज़ंग से पहले ही नक्सलियों के आगे हथियार डाल रही है सरकार
नक्सालियों के गिरफ्त से आखिरकार पुलिस ऑफिसर अतिन्द्र्नाथ दत्त बाहर आ गए । लेकिन उनकी यह रिहाई एक बार फ़िर देश की सुरक्षा व्यवस्था को आइना दिखा गई । अतिन्द्र्नाथ के बदले में पशिम बंगाल सरकार को २३ नाक्सालियो को छोड़ना पड़ा । इनमें से १२ ऐसे नक्सल आरोपी थे जिनपर कई हत्याओं ,आगजनी का आरोप था । और इस रिहाई को नक्सली नेता कोटेश्वर राव डंके के चोट पर अंजाम दे रहे थे । और बेवस सरकार हाथ पर हाथ धरे नक्सालियों के हर आदेश का पालन करती रही । चूँकि सरकार ने नक्सालियों के ख़िलाफ़ ज़ंग का एलान कर रखी थी सो उन्होंने एक युद्घ कैदी को रिहा किया है । सरकार को ऐसी शर्मिंदगी न तो आई सी ८१४ के २६५ यात्री को बचाने के लिए झेलनी पड़ी थी न तो रुबिया सईद की रिहाई के नाम पर जे के एल ऍफ़ के १४ दहशतगर्दों को छोड़ने के वक्त हुई थी । यह सीधे तौर पर पाकिस्तान की साजिश के आगे सरकार का समर्पण था ,लेकिन इस बार नक्सली महज एक छोटी सी गुंडों की टोली को लेकर सरकार को ललकार रहे थे । बाद की सरकार ने इसे आतंकवाद के आगे घुटने टेकने का नाम देकर नई होस्टेज पॉलिसी बनाई थी जिसमें होस्टेज के नाम पर कोई समझौता नही करने का वचन दिया गया