"सबका साथ सबका विकास " कश्मीर में क्यों नहीं ?
पिछले 18 वर्षो में कश्मीर आने वाले फॉरेन टूरिस्ट की तादाद 3 लाख 60 हज़ार है जबकि इसी दौर में बिहार आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 40 लाख से ज्यादा थी। लेकिन फ़ारूक़ अब्दुल्लाह और मेहबूबा मुफ़्ती को कश्मीर में और ज्यादा ऑटोनोमी चाहिए तो हुर्रियत के लीडरों को आज़ादी। सनद रहे कि जम्मू कश्मीर में टूरिज्म सबसे बड़ी इंडस्ट्री है और रोजगार का जरिया भी । सांख्यकी विभाग के आंकड़े में कुछ तथ्य और जोड़ लें . पिछले 18 वर्षो में माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने वाले देशी श्रद्धालु की तादाद 12 हज़ार से बढ़कर 1 करोड़ हो गयी है। हर साल 10 लाख से ज्यादा रजिस्टरड -अन्रेजिस्टरड दर्शनार्थी बाबा अमरनाथ जी गुफा पहुंचते है। और ये श्राइन सरकारी ट्रस्ट के अधीन है और सबसे ज्यादा पैसा रियासत की तिजोरी में डालती है। शायद आपको यह भी पता होगा देश के सभी राज्यों से ज्यादा अनुदान जम्मू कश्मीर को मिलता है वो भी फ्री। लेकिन सियासत ऐसी कि जम्मू कश्मीर के लाखो दलित परिवारों को सिर्फ यह पता है कि अंबेडकर ने भारत का संविधान बनाया था लेकिन यहाँ दलित के बच्चे सिर्फ सफाई का काम कर सकते ...