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अप्रैल 8, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राईट टू एडुकेशन का मतलब निकालने में उलझा देश

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सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से उत्साहित मेरा बेटा सवाल पूछता है, क्या अब संस्कृति स्कूल में मेरा एड्मिसन हो पायेगा ? क्या डी पी एस में गरीब के बच्चे पढ़ पाएंगे ? अब मेरा सवाल है, क्यों देश के लाखों बच्चे ऊँचे दर्जे के प्राइवेट स्कूल में पढने को लालायित है ?क्यों ऊँचे दर्जे के स्कूल से निकलकर अधिकांश बच्चे ब्रांडेड  कंपनियों के बैग लेकर मार्केट में घुमने को मजबूर हैं .अवसर कम है तो प्रतियोगिता बढ़ेगी लेकिन जहाँ व्यवस्था में कुछ लोगों ने अपने लिए ऊँचे दर्जे का स्कूल हथिया लिया तो उसी व्यवस्था ने नौकरियों में आरक्षण के नाम पर प्रतिभाशाली बच्चो को बहार का रास्ता दिखा दिया .राईट टू एडुकेशन के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने एक रास्ता दिखाने की कोशिश की है .देश के तमाम निजी स्कूलों को अब अपने स्कूलों में २५ फिसद  गरीब बच्चों को जगह देनी होगी .ये बच्चे  अब रेगुलर क्लास में एड्मिसन के हक़दार होंगे . अब  हर बच्चे को होगा शिक्षा का अधिकार ,यानी कोई भी माता पिता शासन से अपने एक से १४ साल के  बच्चो की पढाई लिखाई की व्यवस्था करने को कह सकता है . और यह  शासन की ...