चीनी ओल्य्म्पिक
एक दुनिया ,एक सपना के नारे के साथ ओलंपिक २००८ का बिगुल बज चुका है । यह ओलंपिक इसलिए भी खास है की यह चीन में हो रहा है और तिब्बत के लोगों ने ठीक इसी समय अपने मुद्दे को दुनिया के सामने असर दार तरीके से रखने की कोशिश की है । लेकिन यह चीन है जिसने अपनी चतुराई और रणनीति से हर को स्तब्ध किया है । तिब्बत के मामले को लेकर वहाँ के मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर अमेरिका के दोनों सदनों मे जोरदार हंगामा हुआ ओलंपिक खेलों को बायकाट करने की बात भी हुई लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने यह कहकर सारे विरोध की हवा निकल दी, की वे ओलंपिक समारोह मे हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचेंगे । कहते हैं की अमेरिका को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए चीन ने काफी मदद की है । भारत मे तिब्बती शरणार्थियों का धरना प्रदर्शन जारी है लेकिन पुरा तंत्र ओलंपिक मशाल की सुरक्षा मे हर विरोध को दबाने मे कोई कसर नही छोडी । यहाँ तक की ओल्य्म्पिक के भारत प्रमुख सुरेश कलमाडी तिब्बत को कश्मीर से जोड़ कर प्रबुद्ध लोगों को चुप कराने की कोशिश की । उन्होंने कहा की जो लोग तिब्बत मे मानवाधिकार के मुद्दे पर आज चीन में ओलंपिक का विरोध कर र