देखो इस कश्मीर को
कश्मीर में अमूमन दो कैलंडर प्रचलित है अंग्रेजी कैलेंडर और इस्लामी कैलेंडर , लेकिन यह पहली बार की घटना है कि वहां गिलानी साहब का कैलेंडर भी प्रचलित हुआ है । रमजान के दौरान कब और कहाँ नमाज पढ़ना है और कब दुकाने बंद रखनी है , कब प्रदर्शन होना है । सब चीजों के लिए तारीख मुकरर कि गयी है । और उसका अनुपालन भी हो रहा है । लश्करे तोइबा (कुख्यात पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ) के सरगना हाफिज़ मुहम्मद सईद करांची में कश्मीर कूच करने के लिए रैली करते हैं तो श्रीनगर से गिलानी साहब उस रैली को संबोधन भी करते हैं । यह सब कुछ आजाद हिंदुस्तान मे ही सम्भव है । लेकिन कश्मीर में इनदिनों आज़ादी की चर्चा जोरों पर हैं । जम्मू कश्मीर में चुनाव होने है ,अक्टूबर -नवम्बर में चुनाव हो जाने चाहिए ,लेकिन ऐसा नही हो रहा है । कश्मीर के सियासी लीडर माहौल सुधारने की मांग कर रहे हैं । यानी माहौल को दुरुशत करा कर उनके हाथ कश्मीर की राज सत्ता सौप दी जाय । शायद इसलिए सियासी नेताओं ने राजनितिक पहल बंद कर दी है। हुर्रियत के दूसरे लीडर ओमर फारूक ने सियासी लीडरों के नाम फतवा भी जारी किया है । " जो सियासी जमात चुनाव प्रक्रिया में