अकेला गुनगुनाता हूँ। न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
90 के दशक में कश्मीर की हालात पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लिखा था : न मैं चुप हूँ न गाता हूँ, समय की सदर साँसों ने चिनारों को झुलस डाला, , मगर हिमपात को देती चुनौती एक दुर्ममाला, बिखरे नीड़, विहँसे चीड़, आँसू हैं न मुस्कानें, हिमानी झील के तट पर अकेला गुनगुनाता हूँ। न मैं चुप हूँ न गाता हूँ मरहूम डी एस पी मोहम्मद अयूब पंडित की भाभी कहती है , 'हम किस मुक़ाम पर आ गए हैं कि एक पवित्र रात को हम जामिया मस्ज़िद के बाहर एक शख़्स को बर्बर तरीके से मार डालते हैं. 'क्या हम इसी आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं ". श्रीनगर के इस जामिया मस्जिद ने देखा है अयूब पंडित को बचपन से लेकर कलतक दुआए करते हुए ,पवित्र रातो में नमाज पढ़ते हुए। लेकिन पिछले पवित्र रात को उसकी जिम्मेदारी बदल गयी थी और एक जज्वाती पुलिस अफसर ने अपने तमाम सिपाहियों को इफ्तार के बाद छुट्टी दे दी और खुद नमाजियों की सुरक्षा में लग गया। लेकिन सलामती की दुआ मांगने वाली भीड़ ने उसे अपना दुश्मन समझ लिया और उसकी सलामती को तार तार कर दिया। मस्जिद के अंदर मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ मौजूद थे और उन्मादी भीड़